paropkar for paragraph writing
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परोपकार की राह फुलों की नहीं काँटों की है । यह तो वह रास्ता है, जहाँ तन-मन को कष्टों की अग्नि में झुलसाकर तलवार की नंगी धार पर चलना पड़ता है । तभी परोपकारी सामान्य मनुष्य की कोटि से उठाकर ईश्वर तुल्य हो जाता है । इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों से उसका नाम अंकित हो जाता है । सिद्धार्थ ने समस्त सांसारिक सुख तजकर निर्वाण का मार्ग खोजा, फिर सिद्धार्थ से वुद्ध हो गये । ॠषि दधीचि ने इंद्रदेव की प्रार्थना पर अपनी अस्थियाँ दान में दे दीं तभी ‘व्रज’ बन पाया । राजा शिवि द्वारा अपने शरीर का मांस दान करना, ईसामसीह का सूली पर चढ़ना, शहीदों का राष्ट्र्हित बलिदान हो जाना परहित साधन ही तो है । वस्तुतः यह महान त्याग है जिसमें लोकमंगल निहित है । यही मोक्ष का द्वार भी खोलता है ।
duragpalsingh:
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