paropkar hi jeevan ka saar hai essay.
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परोपकार जीवन का मूलमंत्र है और विश्व की प्रगति का आधार है एवं समाज की गति है। जीवन का संगीत परोपकार से पुण्य होता है और परपीड़न से पाप। "परहित सरिस धर्म नहिं भाई, संता पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥
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