Paropkar par aunched in a sanskrit...?
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प्रस्तावना:- परोपकार शब्द ‘पर + उपकार‘ दो शब्दों के मेल से बना है। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों की सहयता करना। परोपकार की भावना मानव को इंसान से फरिश्ता बना देती है। यथार्थ में सज्जन दूसरों के हित साधन में अपनी संपूर्ण जिंदगी को समर्पित कर देते है। परोपकार के समान कोई धर्म नहीं। मन, वचन और कर्म से परोपकार की भावना से कार्य करने वाले व्यक्ति संत की श्रेणी में आते है। ऐसे सत्पुरुष जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों पर उपकार करते है वे देवकोटि के अंतर्गत कहे जा सकते है। परोपकार ऐसा कृत्य है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है।
परोपकार की महत्वता:- जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता । ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है। पर पीड़ा के समान कुछ भी का अधम एवं निष्कृष्ट नहीं है।
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परेषां उपकाराय कृतम् कर्म उपकारः कथयते । अस्मिन् जगति सर्वेजनाः स्वीयं सुखं वाञ्छन्ति । अस्मिन् एव जगति एवविधाः अपि जनाः सन्ति ये आत्मनः अकल्याणं कृत्वाऽपि परेषां कल्याणं कुर्वन्ति । ते एवम् परोपकारिणः सन्ति । परोपकारः दैव भावः अस्ति । अस्य भावस्य उदयेन एव समाजस्य देशस्य च प्रगतिः भवति । अचेतनाः परोपकर्मणि रताः दृश्यन्ते । मेघाः परोपकाराय जलं वहन्ति । नद्यः अपि स्वीयं जलं न स्वयं पिबन्ति । वृक्षाः परोपकाराय एव फलानि दधति एवं हि सज्जनाः परोपकाराय एव जीवनम् धारयन्ति ।
आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः ।
परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति ॥
हिन्दी अनुवाद :
दूसरों के लिए किया गया कार्य उपकार कहा जाता है । इस जगत में सभी लोग अपना-अपना ही सुख चाहते हैं । इस जगत में ऐसा भी व्यक्ति है जो अपना हानि करके भी दूसरों का कल्याण करते हैं । यही परोपकार है । परोपकार दैवभाव है । इस भाव उदय से समाज और देश का प्रगति होता है । अचेतन भी परोपकार में लीन देखा जाता है । मेघ परोपकार के लिए ही जल ढोता है । नदी भी अपना जल स्वयं नहीं पीता है । वृक्ष भी परोपकार के लिए फल देता है और इसी तरह सज्जन लोग दूसरों के उपकार के लिए जीवन धारण करते हैं।
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