paropkar pe aadharit ek choti kahani 50 to 100 words
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समुद्र के किनारे एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था. उसके पिता नाविक थे. कुछ दिनों पहले उसके पिता जहाज लेकर समुद्री-यात्रा पर गए थे.बहुत दिन बीत गए पर वे लौट कर नहीं आए. लोगों ने समझा की समुद्री तूफान में जहाज डूबने से उनकी मृत्यु हो गए होगी.
एक दिन समुद्र में तूफान आया, लोग तट पर खड़े थे. वह लड़का भी अपनी माँ के साथ वहीं खड़ा था. उन्होंने देखा कि एक जहाज तूफान में फँस गया है. जहाज थोड़ी देर में डूबने ही वाला था. जहाज पर बैठे लोग व्याकुल थे. यदि तट से कोई नाव जहाज तक चली जाती तो उनके प्राण बच सकते थे.
तट पर नाव थी; लेकिन कोई उसे जहाज तक ले जाने का साहस न कर सका. उस लडके ने अपनी माँ से कहा – “माँ ! मैं नाव लेकर जाऊंगा.” पहले तो माँ के मन में ममता उमड़ी, फिर उसने सोचा कि एक के त्याग से इतने लोगों के प्राण बचा लेना अच्छा है. उसने अपने पुत्र को जाने की आज्ञा दे दी.
वह लड़का साहस करके नाव चलाता हुआ जहाज तक पहुंचा. लोग जहाज से उतरकर नाव में आ गए. जहाज डूब गया. नाव किनारे की ओर चल दी. सबने बालक की प्रशंसा की और उसे आशीर्वाद देने लगे संयोग से उसी नाव में उसके पिता भी थे.
उन्होंने अपने पुत्र को पहचाना. लडके ने भी अपने पिता को पहचान लिया.
किनारे पहुंचते ही बालक दौड़ कर अपनी माँ के पास गया और लिपट कर बोला – “ माँ ! पिता जी आ गए. ”माँ की आँखों में हर्ष के आँसू थे. लोगों ने कहा – “परोपकार की भावना ने पुत्र को उसका पिता लौटा दिया.”
परोपकार से मन को शांति और सुख मिलता है.परोपकारी व्यक्ति का नाम संसार में अमर हो जाता है. महाराज शिवि, रन्तिदेव आदि ने प्राणों का मोह छोड़ के परोपकार करके दिखलाया था. इसलिए वे अमर हो गए.
आशा करता हूँ यह काम आएगा .....