parshuram ki dhamkiyon ko sunkar laxman unse kya kahte h
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म वैशाख कृष्णपक्ष तृतीया को भृगुवंशीय ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका के गर्भ से हुआ था।
विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार के रूप मे अवतरित इनका प्रारम्भिक नाम राम रखा गया, लेकिन अपने गुरू भगवान शिव से प्राप्त अमोघ दिव्य शस्त्र परशु (फरसा) को धारण करने के कारण यह परशुराम कहलाए।
जन्म समय में छह ग्रह उच्च के होने से वे तेजस्वी, ओजस्वी, वर्चस्वी महापुरुष थे। प्राणी मात्र का हित ही उनका सर्वोपरि लक्ष्य था। न्याय के पक्षधर परशुराम जी दीन दुखियों, शोषितों और पीड़ितों की निरंतर सहायता और रक्षा करते थे।
आखिर में परशुराम ने कश्यप ऋषि को पृथ्वी दान कर स्वयं महेन्द्र पर्वत पर निवास करने लगे। शास्त्रों के अनुसार ये चिरंजीवी हैं व आज भी जीवित व तपस्या में लीन हैं। परशुराम का सप्त चिरंजीवियों में स्थान है। अश्वत्थामा वलिर्व्यासो हनुमांशच विभीषण:। कृपछ परशुरामश्च सप्तैते चिरजीवन:।।
Answer:
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