Paryavaran aur samaj par bhaashan
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plss say clearly can't understand
abhisharma50:
said me which class
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पर्यावरण पर भाषण 2
मेरे आदरणीय अध्यापक और प्यारे साथियों को सुबह की नमस्ते। जैसे कि हम सभी यहाँ इस उत्सव को मनाने के लिए एकत्र हुये हैं, मैं इस अवसर पर आप सभी के सामने पर्यावरण पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। जीवन को सुखी और स्वस्थ्य तरीके से चलाने के लिए, हमें एक स्वस्थ्य और प्राकृतिक वातावरण की जरुरत होती है। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या जंगलों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। मनुष्य अपनी सुरक्षा के साथ रहने के लिए, घरों के निर्माण के लिए, बड़े पैमाने पर जंगलों को काट रहे हैं हालांकि, वो जंगलो की कमी के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं सोचते। इसने पृथ्वी पर पूरी तरह से जीवन और पर्यावरण के बीच प्राकृतिक चक्र को बाधित किया है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण, वातावरण में बहुत से रासायनिक तत्वों की वृद्धि हुई है जो अंततः अनियमित वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनें हैं। हम ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव को जलवायु और मनुष्य और अन्य जीवित प्रजातियों पर सोच भी नहीं सकते।
शोध के अनुसार यह पाया गया है कि, अतीत में तिब्बत के चिरस्थायी बर्फ के पहाड़ जो पूरी तरह से बर्फ के मोटे आवरण से ढके रहते थे, हालांकि, पिछले कुछ दशकों से बर्फ की वो मोटी परत दिन प्रतिदिन बहुत पतली होती जा रही है। इस तरह की स्थिति बहुत ही खतरनाक और पृथ्वी पर जीवन की समाप्ति का संकेतक है, जिसे संसार के सभी देशों के द्वारा गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह भी सत्य हैं कि, जलवायु में परिवर्तन की क्रियाएं बहुत धीरे-धीरे हो रही हैं हालांकि, ये निरंतर चलती प्रक्रिया बहुत खतरनाक है। पर्यावरण में निरंतर परिवर्तनों के कारण मनुष्य और अन्य जीव जन्तुओं की प्रजातियों की भौतिक संरचना में पीढी दर पीढी निरंतर परिवर्तन हो रहा है। मानव जनसंख्या में वृद्धि के कारण कृषि, खेती-बाड़ी और रहने के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ती है, जो उन्हें अधिक पेड़-पौधे और जंगलों को काटने के लिए मजबूर करता है इसलिए वनों का उन्मूलन भी अपने बुरे प्रभावों को रखता है।
बढ़ता हुआ औद्योगिकीकरण भी वातावरण पर जहरीले रासानिक रिसाव और खतरनाक अपशिष्टों को बड़े पानी के स्रोतों में बहाना जैसे; गंगा, यमुना, और अन्य नदियों के माध्यम से बहुत से अनगिनत खतरनाक प्रभावों को डालता है। यह बदलता (नकारात्मक) हुआ पर्यावरण न केवल कुछ देशों और सरकारों का मुद्दा है, ये पूरी मानव प्रजाति के लिए चिन्ता का विषय है क्योंकि हम सभी पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का कारण है इसलिए हम सभी को भी अपने इस प्राकृतिक पर्यावरण को, पृथ्वी पर स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए सुरक्षित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। पर्यावरण की सुरक्षा का मुद्दा सभी वर्तमान और भविष्य की पीढियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। आज पर्यावरण पर भाषण देने का मुख्य कारण आम जनता के बीच में वातावरण की स्वच्छता के स्तर में गिरावट के बारे में लोगों को जागरुक करने के साथ ही पृथ्वी पर स्वस्थ्य और प्राकृतिक वातावरण की आवश्यकता को प्रदर्शित करना है। इसलिए, यह मेरा सभी से आग्रह है कि, पर्यावरण की सुरक्षा में भागीदारी करें।
धन्यवाद।
hope it helps you...☺
plz mark as brainiest....
मेरे आदरणीय अध्यापक और प्यारे साथियों को सुबह की नमस्ते। जैसे कि हम सभी यहाँ इस उत्सव को मनाने के लिए एकत्र हुये हैं, मैं इस अवसर पर आप सभी के सामने पर्यावरण पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। जीवन को सुखी और स्वस्थ्य तरीके से चलाने के लिए, हमें एक स्वस्थ्य और प्राकृतिक वातावरण की जरुरत होती है। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या जंगलों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। मनुष्य अपनी सुरक्षा के साथ रहने के लिए, घरों के निर्माण के लिए, बड़े पैमाने पर जंगलों को काट रहे हैं हालांकि, वो जंगलो की कमी के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं सोचते। इसने पृथ्वी पर पूरी तरह से जीवन और पर्यावरण के बीच प्राकृतिक चक्र को बाधित किया है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण, वातावरण में बहुत से रासायनिक तत्वों की वृद्धि हुई है जो अंततः अनियमित वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनें हैं। हम ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव को जलवायु और मनुष्य और अन्य जीवित प्रजातियों पर सोच भी नहीं सकते।
शोध के अनुसार यह पाया गया है कि, अतीत में तिब्बत के चिरस्थायी बर्फ के पहाड़ जो पूरी तरह से बर्फ के मोटे आवरण से ढके रहते थे, हालांकि, पिछले कुछ दशकों से बर्फ की वो मोटी परत दिन प्रतिदिन बहुत पतली होती जा रही है। इस तरह की स्थिति बहुत ही खतरनाक और पृथ्वी पर जीवन की समाप्ति का संकेतक है, जिसे संसार के सभी देशों के द्वारा गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह भी सत्य हैं कि, जलवायु में परिवर्तन की क्रियाएं बहुत धीरे-धीरे हो रही हैं हालांकि, ये निरंतर चलती प्रक्रिया बहुत खतरनाक है। पर्यावरण में निरंतर परिवर्तनों के कारण मनुष्य और अन्य जीव जन्तुओं की प्रजातियों की भौतिक संरचना में पीढी दर पीढी निरंतर परिवर्तन हो रहा है। मानव जनसंख्या में वृद्धि के कारण कृषि, खेती-बाड़ी और रहने के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ती है, जो उन्हें अधिक पेड़-पौधे और जंगलों को काटने के लिए मजबूर करता है इसलिए वनों का उन्मूलन भी अपने बुरे प्रभावों को रखता है।
बढ़ता हुआ औद्योगिकीकरण भी वातावरण पर जहरीले रासानिक रिसाव और खतरनाक अपशिष्टों को बड़े पानी के स्रोतों में बहाना जैसे; गंगा, यमुना, और अन्य नदियों के माध्यम से बहुत से अनगिनत खतरनाक प्रभावों को डालता है। यह बदलता (नकारात्मक) हुआ पर्यावरण न केवल कुछ देशों और सरकारों का मुद्दा है, ये पूरी मानव प्रजाति के लिए चिन्ता का विषय है क्योंकि हम सभी पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का कारण है इसलिए हम सभी को भी अपने इस प्राकृतिक पर्यावरण को, पृथ्वी पर स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए सुरक्षित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। पर्यावरण की सुरक्षा का मुद्दा सभी वर्तमान और भविष्य की पीढियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। आज पर्यावरण पर भाषण देने का मुख्य कारण आम जनता के बीच में वातावरण की स्वच्छता के स्तर में गिरावट के बारे में लोगों को जागरुक करने के साथ ही पृथ्वी पर स्वस्थ्य और प्राकृतिक वातावरण की आवश्यकता को प्रदर्शित करना है। इसलिए, यह मेरा सभी से आग्रह है कि, पर्यावरण की सुरक्षा में भागीदारी करें।
धन्यवाद।
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