Hindi, asked by keerti7nabhacantt, 1 month ago

Paryavaran Bachao Jeevan Bachao anuched​

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Answered by Anujandankush
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please mark me as brilliant

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and good morning my friend

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Answered by nishasamaria321
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पर्यावरण बचाओ पर निबंध

पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजो से है, जो कि हमारे आस-पास मौजूद है, और जिनका होना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत वायु, जल, मिट्टी, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि आते है। हालांकि एक शहर, कस्बे या गांव में रहते हुए हम देखते है कि हमारे आस-पास का वातावरण और स्थान वास्तव में एक प्राकृतिक स्थान जैसे कि रेगिस्तान, जंगल, या फिर एक नदी आदि थे, जिन्हे हम मनुष्यों ने अपने उपयोग के लिए इमारतो, सड़को या कारखानो में तब्दील कर दिया है।

प्रस्तावना

हमारे पूरे परिवेश और जीव जगत जिसमें हवा, पानी और सूर्य का प्रकाश आदि भी शामिल है, इसके अलावा विकास और वृद्धि में अपना योगदान देने वाले जीवित जीव जैसे कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, मनुष्य आदि साथ मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

आज के औद्योगिक और शहरी क्षेत्र के पर्यावरण में पक्की सड़के, कई मंजिला कंक्रीट के इमारत और गगनचुंबी इमारते भी शामिल है। इनका मुख्य मकसद बढ़ती आबादी के लिए सुविधाएं तैयार करना तथा धनी और संभ्रांत वर्ग के जीवन को सुविधा और विलासतापूर्ण बानना है।

हालांकि, इस औद्योगिक और शहरी आंदोलन के बावजूद भी प्राकृतिक संसाधनो पर मनुष्य की निर्भरता पहले के ही भांति बनी हुई है। हमारे द्वारा श्वसन के लिए वायु का इस्तेमाल किया जाता है, पीने तथा अन्य दैनिक कार्यो के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है सिर्फ इतना ही नही जो भोजन हम खाते है वह भी कई प्रकार के पेड़-पौधो, पशु-पक्षीओं और सब्जियो, दूध, अंडो आदि से प्राप्त होता है। इन आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए इन संसाधनो की सुरक्षा बहुत ही जरुरी हो गई है। इन संसाधनो को इस प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।

नवकरणीय संसाधनः जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह वह संसाधन है, जिन्हे प्राकृतिक रुप से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, जैसे कि वर्षा और पेड़-पौधो की पुनः वृद्धि आदि। हालांकि यदि इसी प्रकार प्रकृति के पुनः आपूर्ति के पहले ही इनका से तेजी से इनका उपभोग होता रहा तो आने वाले समय में रबर, लकड़ी, ताजा पानी जैसे यह वस्तुएं पूर्ण रुप से समाप्त हो जायेंगी।

गैर-नवकरणीय संसाधनः यह संसाधन लाँखो वर्षो पूर्व जमीन के अंदर निर्मित हुए है, इसलिए इनकी पुनः प्राप्ति संभव नही है। इनका सिर्फ एक बार ही उपयोग किया जा सकता है। इसके अंतर्गत जीवाश्म ईंधन जैसे कि कोयला और तेल आदि आते है, जिन्हे फिर से नवीकृत नही किया जा सकता है।

निष्कर्ष

इस समय सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें इन संसाधनो के दुरुपयोग को रोकना होगा और बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से इनका उपयोग करना होगा, क्योकि पृथ्वी द्वारा इनके इतने तेजी से हो रहे उपयोग को अब और नही बर्दाश्त किया जा सकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति सिर्फ सतत विकास के द्वारा ही संभव है। इसके अलावा उद्योग ईकाईयों द्वारा तरल और ठोस सह-उत्पाद जो कि कचरे के रुप में फेक दिए जाते है इनके भी नियंत्रण की आवश्यकता है, क्योंकि इनके कारण प्रदूषण बढ़ता है। जिससे की कैसंर और पेट तथा आंत से जुड़ी कई बीमारियां उत्पन्न होती हैं। यह तभी संभव है जब हम सरकार के ऊपर निर्भरता छोड़कर व्यक्तिगत रुप से इस समस्या के समाधान के लिए जरुरी कदम उठायें।

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