Paryavaran Hamare liye kya karta hai
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पर्यावरण दिवस ५ जून को आत ा है । हमार े आसपा स क ी हवा, पानी और वातावरण के नाम पर एक दिन। तो क्या सालभर में हम पर्यावरण में जितनी गड़बड़ियाँ फैलाते हैं वह इस एक दिन में ठीक की जा सकती हैं? सालभर में फैलने वाली गड़बड़ियाँ दूर करने के लिए सालभर की अपनी आदतों में थोड़ा-थोड़ा सुधार जरूरी है। हमारे छोटे-छोटे काम सालभर चलते रहेंगे तो पर्यावरण ठीक रहेगा। पर्यावरण की हालत कैसी है और अपने पर्यावरण के लिए हम क्या कर सकते हैं आज इन्हीं छोटे-छोटे तरीकों पर गौर करते हैं।
रिसाइकल
* घर के उपयोग में आने वाले कचरे में ध्यान दो, क्या-क्या है। इसमें तुम्हें कई तरह की चीजें दिखाई देंगी। कागज, प्लास्टिक और काँच और रोजाना किचन से निकलने वाला सब्जी-भाजी का कचरा भी।
* कोशिश करो कि इनमें से जो कचरा कबाड़ी वाले को बेचा जा सके वह उसे दे दो। वहाँ से पुराने आयटम रिसायकल सेंटर तक पहुँचते हैं और फिर इन्हीं चीजों से नई चीजें बनकर तुम तक पहुँच जाती हैं। उपयोग में आई प्लास्टिक की रिसायकलिंग से नया सामान बन जाता है। कागज, काँच और धातु से बनी चीजें भी रिसायकल हो जाती हैं।
* कचरे के डिब्बे में फेंक देने पर देर से अपघटित होने वाला कचरा जमीन, पानी और हवा को बिगाड़ता रहता है।
* याद रहे सब्जियों और खाने-पीने की चीजें जल्दी मिट्टी में मिल जाती हैं पर प्लास्टिक और धातु की चीजों को सालोंसाल लगते हैं।
ध्यान रहे कि इन दिनों शहरों में नगर-निगम दो डिब्बे रखने लगा है। एक जल्दी सड़ने-गलने वाले पदार्थों के लिए और दूसरा लंबे समय में अपघटित होने वाले कचरे के लिए। देखो, तुम अपना कचरा कहाँ फेंक रहे हो?
री-ड्यूस
ग्लोबल वार्मिंग इस समय बड़ी चिंता है। पृथ्वी पर जिन चीजों का उपयोग हम कर रहे हैं उनमें तापमान में क्रमश: वृद्धि हो रही है। तापमान के बढ़ने की मुख्य वजह है फैक्टिरियों से निकलने वाला धुआँ। हम उसे तो रोक नहीं सकते पर अपनी जरूरतों को थोड़ा बहुत बदल सकते हैं। अपने घरों में दिन के समय बत्तियाँ कम से कम जलाएँ। अगर किसी कमरे में अँधेरा रहता है तो खिड़की खोल देने पर उस कमरे में रोशनी हो सकती है।
घर के सारे बिजली से चलने वाले उपकरणों को घर से बाहर जाते हुए मेन स्विच से बंद करें। इस तरह बिजली के बिल में भी थोड़ी कटौती होगी और ज्यादा बिजली बनाने के लिए कोयला भी नहीं जलाना पड़ेगा। पृथ्वी का तापमान भी कुछ कम पड़ेगा।
फ्रिज के पानी के बजाय मटके का ठंडा पानी ज्यादा बेहतर है। मटके के आसपास एक गीला कपड़ा लपेटकर रखोगे तो पानी के लिए फ्रिज बार-बार नहीं खोलना होगा और बिजली बचेगी।
प्लास्टिक की थैलियाँ शहरों में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं, तो पुरानी कपड़े की थैली सामान लेने जाते समय उपयोग में लें। कपड़े की थैली बार-बार उपयोग में आती है।
री-यूज
प्लास्टिक की थैलियाँ शहरों में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं, तो पुरानी कपड़े की थैली सामान लेने जाते समय उपयोग में लें। कपड़े की थैली बार-बार उपयोग में आती है।
किसी भी पुरानी चीज को फेंकने के बजाय उसका दूसरा इस्तेमाल जरूर सोचें। किसी भी पुरानी वस्तु को री-साइकिल करके नई वस्तु बनाने में भी ऊर्जा की खपत होती है तो री-यूज ज्यादा बेहतर है।
और यह भी करें
* एक पौधा लगाओ और उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी भी लो।
* बिजली के बिल में कटौती करने वाले उपाय सोचो।
* पुराने बल्ब पर जमी धूल पोंछने पर कमरे में दो के बजाय एक ही बल्ब से काम चल जाएगा।
* गर्म पानी से नहाने की आदत बदलोगे तो भी चल सकता है।
* एक सूची बनाकर देखो कि इस महीने तुम किन आदतों को बदलकर बिजली में कटौती की।
Paryavaran hamare liye bohot kuch karta hai... Kya vo hame jeene ke liye paani nahi pradan karta?? Ha bilkul.. Vo hame sirf fal aur sabjiya he nahi deta balki vo hame hava ka andhekha ahsaas bhi dilata hai... Kuch logo ko alag rehne me bohot mjha lagta hai. Toh vo kya karte hai? Bas parvaran ka majha lete hai aur vaha ki hava ko shanti se mehsoos karte hai. Jo unke man ko bhlata hai..
Garmi me toh sabse pehle kisano ko kaam me ata hai jase jhaad usko chaaya dekar aram deta hai.... Thandi hava dilata hai... Vo hame gum, rubber, latex bohot kuch deta hai. Aur hame tandarust bhi rakh ta hai...
Hope it helps u