Paryavaran santulan mein vanon ka yogdaan
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Explanation:
सन 2000 में पृथ्वी की जनसंख्या 6 अरब (बिलियन) लाख थी, जिसमें से 1.1 अरब (बिलियन) लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल और 2.4 अरब (बिलियन) लोगों को पर्याप्त साफ-सफाई की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इसके परिणामस्वरूप पानी और स्वच्छता से संबंधित अनके बीमारियां फैल गईं। प्रतिवर्ष लगभाग 2.5 करोड़ (250 मिलियन) लोग बीमार होते हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष 30 लाख (3 मिलियन) और प्रतिदिन लगभग 10,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। दस्त/अतिसार का रोग बच्चों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और इससे विकासशील देशों में प्रतिवर्ष लगभाग 20 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है। बड़ी संख्या में बच्चों का वजन कम हो जाता है, वे मानसिक एवं शारीरिक रूप से दुर्बल हो जाते हैं, उनके रोग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है और वे कमजोर होने कारण विद्यालय जाने में असमर्थ रहते हैं।
आज के विश्वि में यह स्थिति अपमानजनक, नैतिक रूप से गलत और दमनकारी है। विश्वन के समुदायों ने अनके क्षेत्रों में प्रगति की है लेकिन यह सुविधाओं से वंचित लोगों की इन बुनियादी जरूरतों को पूरा कराने में असफल रहा है और यदि विश्व स्तर पर अप्रत्याशित कार्रवाई नहीं की जाती है तो, आने वाले समय में गरीबों की दशा और भी दयनीय होने की संभावना है।..
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