Paryawadniye samasyao ko half karne bahuvishyak drishtikod kese sahayak hai
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पिछले दो-ढाई दशक में जिस रफ्तार से भारत में विकास हुआ है, उसकी तुलना में गरीबी और असमानता उस रफ्तार में कम नहीं हुई है। आँकड़ों में गरीबी कुछ कम ज़रूर हुई है, लेकिन आर्थिक असमानता की खाई और चौड़ी हुई है। आज भी देश में 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे निर्वाह करने को विवश हैं और उनके लिये प्रथम वरीयता रोटी, कपड़ा और मकान है।
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