पश्चिम एशिया में तेल कूटनीति को समस्या पर प्रकाश
डाले।
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हम सभी के लिए बहुत महत्व वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इन श्रेष्ठ श्रोताओं के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है। मैं पश्चिम एशिया पर द्वितीय वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करने के लिए आई डी एस ए का धन्यवाद करना चाहता हूँ, जिसका समय क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य से बिल्कुल उपयुक्त है और नई घटनाओं की जटिल चुनौतियों को व्यापक ढंग से समझने में इससे हमें मदद मिलेगी। जो वर्ष अभी – अभी समाप्त हुआ है उसमें अलगाववाद के सुरों के साथ तनाव में वृद्धि हुई है। हमने इस क्षेत्र के साथ व्यापक भागीदारी भी की थी, विभिन्न उच्च स्तरीय यात्राओं के माध्यम से। हमारे राष्ट्रपति जी ने अक्टूबर, 2015 में इजरायल, फिलीस्तीन और जॉर्डन की सफल राजकीय यात्रा की, प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त, 2015 में संयुक्त अरब अमीरात का राजकीय दौरा किया और विदेश मंत्री महोदया ने अगस्त, 2015 में मिस्र की यात्रा की और इस सप्ताह फिलीस्तीन एवं इजरायल की यात्रा की। अब से कुछ दिन बाद वह मनामा में आयोजित होने वाली पहली भारत – अरब लीग मंत्री स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगी। पूरे वर्ष के दौरान इस क्षेत्र से उच्च स्तरीय पदाधिकारियों ने भी भारत का दौरा किया – संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री ने सितंबर, 2015 में, ईरान के विदेश मंत्री ने अगस्त, 2015 में भारत की यात्रा की और पिछले माह भारत – ईरान संयुक्त आयोग की 18वीं बैठक हुई। भारत ने अक्टूबर, 2015 में तीसरी भारत – अफ्रीका मंच शिखर बैठक के दौरान अफ्रीका के सभी देशों के साथ अपनी व्यापक भागीदारी के अंग के रूप में उत्तरी अफ्रीका के देशों के साथ शिखर बैठक स्तरीय वार्ता का आयोजन किया। हमने इस भागीदारी को और व्यापक ढंग से नए साल में जारी रखा है तथा सीरिया के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आए। यह इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के साथ भारत की निरंतर सामरिक भागीदारी की रूझान में सततता को दर्शाता है।