पश्चिमी क्षितिज में अस्त होते हुए सूर्य का वर्णन अपने शब्द में कीजिए।
भातमाट कीजिए
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अक्सर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है? उस वक्त उसकी किरणें हल्की होती हैं। ऐसे में वह हमें पूर्ण रूप में दिखता है। लेकिन जब वह पूरी तरह उदित हो जाता है तो उसकी किरणों की रोशनी बहुत तेज हो जाती हैं। हमारी आंखें उसपर नहीं ठहरती हैं। तब हमें वह छोटा दिखता है क्योंकि हम उसके भीतरी भाग को ही देख पाते हैं।
सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। इसकी बाहरी सतह की अपेक्षा अंदर की सतह ज्यादा गर्म होती है। सूक्ष्म तौर पर देखने पर यह हमें दो भागों में दिखाई देता है। जब सूर्य उदय होता है तब धीरे-धीरे इसकी किरणों पृथ्वी पर पहुंचती हैं।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में आठ मिनट उन्नीस सेकेंड का समय लगता है। शाम के समय प्रकाश के हल्के और कमजोर होने से सूर्य हमें स्पष्ट और पूरा दिखाई देता है परंतु जब सूर्य दोपहर के समय ठीक पृथ्वी के ऊपर होता है,उस समय उसकी तेजस्वी किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं। उन तेज किरणों के असर से हमें सूर्य का बाहरी हिस्सा न दिखकर सिर्फ अंदर का ही भाग नजर आता है।
इस दौरान सूर्य को देखना आंखों के लिए हानिकारक होता है। इन अवधि में सूर्य के आकार में भी बदलाव दिखता है जो वायुमंडलीय दबाव की वजह से है।
चूंकि ऊंचाई घटने पर परिवर्तन में ज्यादा फर्क दिखता है इसलिए ऊध्र्वतल छोटा हो जाता है जबकि क्षितिज तल बढ़ जाता है। इसलिए सूर्योदय और उसके अस्त होते समय आकार बड़ा नजर आता है।