Hindi, asked by tarunchallapalli1234, 1 month ago

पशु को बाँधकर रखना पड़ता है, क्योंकि वह निरंकुश है। चाहे जहाँ- तहाँ चला जाता है। इधर- उधर मुँह मार देता है। क्या मनुष्य को भी इसी प्रकार दूसरों का वश स्वीकार करना चाहिए? क्या इससे उसमें मनुष्यत्व रह पाएगा? पशु के गले की रस्सी को एक हाथ में पकड़कर और दूसरे हाथ में एक लकड़ी लेकर जहाँ चाहो हाँक कर ले जाओ। जिन लोगों को इस प्रकार हाँके जाने का स्वभाव पड़ गया है, जिन्हें कोई भी जिधर चाहे ले जा सकता है, काम में लगा सकता है, उन्हें भी पशु ही कहा जाएगा। पशु को चाहे कितना मारो, कितना उसका अपमान कर लो, बाद में उसको खाने को दे दो, वह पूँछ और कान हिलाने लगेगा। ऐसे नर पशु भी बहुत से मिलेंगे जो कुचले जाने और अपमानित किए जाने के बाद भी ज़रा सी वस्तु मिलते ही चट संतुष्ट हो जाते हैं। यदि हम भी ऐसे ही हैं तो हम क्या हैं यह स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं। पशुओं में भी कई पशु मार-पीट और अपमान नहीं सहते। वे कई दिन तक निराहार रहते हैं, प्राण तक दे देते हैं। इस प्रकार के पशु मनुष्य कोटि के हैं, ऐसा कहना आतिशयोक्ति नहीं है।
प्रश्न
1 कई पशुओं ने प्राण त्याग दिए क्योंकि
(i)उन्हें विद्रोह करने की अपेक्षा प्राण त्यागना उचित लगा
(ii) उन्हें तिरस्कृत होकर जीवन जीना उचित नहीं लगा
(iii) वह यह शिक्षा देना चाहते थे कि प्यार, मार पीट से अधिक कारगर है
(iv) इनमें से कोई नहीं
2 बंधन स्वीकार करने से मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(i) मनुष्य व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से कम स्वतंत्र हो जाएगा
(ii) मनुष्य में व्यक्तिगत इच्छा व निर्णय का तत्व समाप्त हो जाएगा
(iii)मनुष्य बँधे हुए पशु समान हो जाएगा
(iv) मनुष्य की निरंकुशता में परिवर्तन आएगा।
3 मनुष्यत्व को परिभाषित करने हेतु कौन सा मूल्य अधिक महत्वपूर्ण है?
(i)स्वतंत्रता
(ii)न्याय
(iii)शांति
(iv)प्रेम
4 गद्यांश के अनुसार कौन सी बात बिल्कुल भी सत्य नहीं है?
(i) सभी पशुओं में मनुष्यत्व है
(ii)सभी मनुष्यों में पशुत्व है
(iii) मानव के लिए बंधन आवश्यक नहीं
(iv)मान-अपमान की भावना केवल मनुष्य ही समझता है
5 गद्यांश में नर और पशु की तुलना किन बातों को लेकर की गई है?
(i)पिटने की क्षमता
(ii)पूँछ -कान आदि को हिलाना
(iii)बंधन स्वीकार करना
(iv)लकड़ी द्वारा हाँका जाना​

Answers

Answered by yash123456765
2

Answer:

sorry taking free points I have less points that's why

Explanation:

पशु को बाँधकर रखना पड़ता है, क्योंकि वह निरंकुश है। चाहे जहाँ- तहाँ चला जाता है। इधर- उधर मुँह मार देता है। क्या मनुष्य को भी इसी प्रकार दूसरों का वश स्वीकार करना चाहिए? क्या इससे उसमें मनुष्यत्व रह पाएगा? पशु के गले की रस्सी को एक हाथ में पकड़कर और दूसरे हाथ में एक लकड़ी लेकर जहाँ चाहो हाँक कर ले जाओ। जिन लोगों को इस प्रकार हाँके जाने का स्वभाव पड़ गया है, जिन्हें कोई भी जिधर चाहे ले जा सकता है, काम में लगा सकता है, उन्हें भी पशु ही कहा जाएगा। पशु को चाहे कितना मारो, कितना उसका अपमान कर लो, बाद में उसको खाने को दे दो, वह पूँछ और कान हिलाने लगेगा। ऐसे नर पशु भी बहुत से मिलेंगे जो कुचले जाने और अपमानित किए जाने के बाद भी ज़रा सी वस्तु मिलते ही चट संतुष्ट हो जाते हैं। यदि हम भी ऐसे ही हैं तो हम क्या हैं यह स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं। पशुओं में भी कई पशु मार-पीट और अपमान नहीं सहते। वे कई दिन तक निराहार रहते हैं, प्राण तक दे देते हैं। इस प्रकार के पशु मनुष्य कोटि के हैं, ऐसा कहना आतिशयोक्ति नहीं है।

प्रश्न

1 कई पशुओं ने प्राण त्याग दिए क्योंकि

(i)उन्हें विद्रोह करने की अपेक्षा प्राण त्यागना उचित लगा

(ii) उन्हें तिरस्कृत होकर जीवन जीना उचित नहीं लगा

(iii) वह यह शिक्षा देना चाहते थे कि प्यार, मार पी

Answered by hardik6460
0

Answer:

1-(||)

2-(||)

3-(|)

5-(|||)

4th ka mujhe nahi pata sorry

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