Hindi, asked by tk0258735, 4 months ago

पशु को बाँधकर रखना पड़ता है, क्योंकि वह निरंकुश है। चाहे जहाँ-तहाँ चला जाता है, इधर-उधर
मुँह मार देता है। क्या मनुष्य को भी इसी प्रकार दूसरों का बन्धन स्वीकार करना चाहिए। क्या इससे
उसमें मनुष्यत्व रह पाएगा पशु के गले की रस्सी को एक हाथ में पकड़ कर और दूसरे हाथ में एक
लकड़ी लेकर जहाँ चाहो हाँककर ले जाओ जिन लोगों को इसी प्रकार हाँके जाने का स्वभाव पड़
गया है, जिन्हें कोई भी जिधर चाहे ले जा सकता है, काम में लगा सकता है, उन्हें भी पशु ही कहा
जाएगा| पशु को चाहे कितना मागे, चाहे कितना उसका अपमान करो, बाद में खाने को दे दो, वह
पूँछ और कान हिलाने लगेगा ऐसे नर पशु भी बहुत से मिलेंगे जो कुचले जाने और अपमानित होने
पर भी जरा-सी वस्तु मिलने पर चट संतुष्ट और प्रसन्न हो जाते हैं, कुत्ते को कितना ही ताड़ना देने के
बाद उसके सामने एक टुकड़ा डाल दो, वह झट से मार-पीट को भूल कर उसे खाने लगेगा यदि हम
भी ऐसे ही हैं तो हम कौन है, इसे स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं पशुओं में भी कई पशु मार-पीट
और अपमान को नहीं सहते। वे कई दिन तक निराहार रहते हैं, कई पशुओं ने तो प्राण त्याग दिए ऐसा
सुना जाता है। पर इस प्रकार के पशु मनुष्य-कोटि के हैं, उनमें मनुष्यत्व का समावेश है, यदि ऐसा कहा
जाए तो कोई अत्युक्ति न होगी
(1) कई पशुओं ने प्राण त्याग दिए। क्योंकि:-
1 उन्हें विद्रोह करने की अपेक्षा प्राण त्यागना उचित लगा।​

Answers

Answered by angelkhushi062
0

ha is liya kyki vha ka log gay toarta that pitta tha

Answered by abhayyadav58
0

Answer:

right essay

Explanation:

it is right I will make you brainly super star ⭐⭐⭐

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