पशु मानव के प्रेम को पहचानते है . अपने अनुभव के आधार पर अपने विचार प्रकट कीजिए
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पशु मानव के प्रेम को पहचानते हैं।
पशु मानव के प्रेम को पहचानते हैं। पशुओं में भी मानव के भांति ही संवेदनाएं होती हैं। ऐसा मुझे अपने जीवन की एक घटना से ज्ञात हुआ।
मैं छुट्टियों में पुणे (पूना) में अपनी मौसी के पास गया और लगभग एक महीना वहां रहा। मेरी मौसी के घर के पास ही एक बंगला था। जिसमें एक महिला अपने परिवार के साथ रहती थी। अपने परिवार के लगभग दो ढाई-सौ सदस्यों के साथ रहती थी। जी हां उसका इतना बड़ा ही परिवार था। परन्तु इंसान के रूप में वह केवल अकेली थी। उस परिवार में बाकी उसके परिवार के सदस्य सब पशु-पक्षी थे। उस महिला के साथ लगभग 60-70 कुत्ते और 20-30 बिल्लियां रहती थी। तोते, कबूतर, कौये, गाय, बंदर आदि भी थोड़े-थोड़े थे। कुल मिलाकर करीब 200-250 के करीब जानवर उस महिला के साथ रहते थे।
उस महिला को जानवरों से बड़ा प्रेम था और वह जानवर भी उसके प्रेम की भाषा समझते थे। मेरी मौसी उस महिला की कहानी बताती है कि उस महिला के रिश्तेदारों ने उसे बहुत कष्ट दिए। चूंकि वह महिला धनवान थी इसलिये सब उसके धन के ही लोभी रहे। इसलिए उसने अपने सारे रिश्तेदारों से नाता तोड़ लिया और जानवरों को अपना लिया। ये जानवर तो धन के लोभी भी नही थे। ये उस महिला के प्रेम की भाषा को समझते थे।
सारे जानवर उसकी एक आवाज पर दौड़े चले आते थे। वो महिला उन जानवरों से मूक भाषा में बात करती थी। सारे जानवर उसके बिछ से जाते थे। उस महिला ने उन जानवरों के खाने पीने का जिम्मा अपने सिर पर ले रखा था।
ये जानवर उस महिला के कौन लगते थे। उस महिला ने उन्हें प्रेम दिया तो उन जानवरों प्रेम की भाषा समझी। और एक बार जो जानवर महिला के पास आता है वो फिर उस महिला को छोड़कर जाने के लिये तैयार नही होता। जहां कहीं भी कोई आवारा पशु उस महिला को दिखता है, वो उसे अपने घर ले आती है और अपने बच्चे की तरह पालती है।
अपने अपनों से ठोकर खाई उस महिला ने जानवरों में प्रेम और स्नेह ढूंढा और उसे वो मिला भी।
इससे ये स्पष्ट होता है कि जानवर भी प्रेम की भाषा समझते हैं। अगर हम उनसे प्रेम करें तो वह बदले में हमें भी प्रेम करेंगे। वो इंसानों की तरह हमें धोखा नही देंगे।
Answer:
जहां कहीं भी कोई आवारा पशु उस महिला को दिखता है, वो उसे अपने घर ले आती है और अपने बच्चे की तरह पालती है। अपने अपनों से ठोकर खाई उस महिला ने जानवरों में प्रेम और स्नेह ढूंढा और उसे वो मिला भी। इससे ये स्पष्ट होता है कि जानवर भी प्रेम की भाषा समझते हैं। अगर हम उनसे प्रेम करें तो वह बदले में हमें भी प्रेम करेंगे।