पशु न बोलने से कष्ट उठा ता है और मनुष्य बोलने से कष्ट उठा ता है निबंध लिखें
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(निबंध)
विषय — पशु को न बोल पाने के लिये और मनुष्य को बोल पाने के लिये कष्ट उठाना पड़ता है
पशु एक मूक प्राणी है वो बोलकर अपनी बात कह नही सकता। उसे कोई कष्ट होता है तो वो बोलकर अपने दुख को व्यक्त नही कर सकता। पशुओं में भी संवेदनायें होती हैं, और अपनी संवेदना व्यक्त करने के जिह्वा रूपी साधन की जरूरत पड़ती है, ताकि बोलकर अपनी भावनायें व्यक्त की जा सकें। पशु को भगवान ने इस साधन की विविधता से वंचित रखा है। उसकी जिह्वा केवल स्वाद अनुभव करने तक ही सीमित है और वो अपनी जिह्वा का उपयोग बोलकर अपनी व्यथा कहने में नही कर सकता। इस कारण न बोल पाने की कमी के कारण अक्सर उसे कष्ट उठाना पड़ता है।
पर मनुष्य की जिह्वा को तो भगवान ने बोल पाने के गुण से भूषित किया है, फिर भी उसे बोलने से कष्ट उठाना पड़ता है। ऐसा क्यों?
ऐसा इसलिये, क्योंकि मनुष्य अपनी जिह्वा का उपयोग अनुचित रूप से करता है। मनुष्य को अपनी जिह्वा का उपयोग अच्छी बातों को बोलने के लिये करना चाहिये। पर मनुष्य हमेशा ऐसा नही करता। वो अपनी जिह्वा का उपयोग कटु वचन बोलने, किसी की निंदा करने, अभद्र भाषा बोलने और झूठ बोलने में करता है। ऐसी बाते बोलने के कारण अक्सर उसको किसी न किसी अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जो उसके कष्ट का कारण बन जाती है।
अतः दोनों स्थिति हैं कि पशु को न बोल पाने के कारण कष्ट उठाना पड़ता है, और मनुष्य बोल पाने के कारण कष्ट उठाता है।