पशुओं के प्रति दया भाव in 5 to 10 lines
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जीव के प्रति दया भाव रखना मानवता का धर्म
हमेंप्रत्येक जीव के प्रति प्रेम दया भाव रखना चाहिए। मानवता का यही धर्म है। प्राचीनकाल में भी देवी-देवता के साथ किसी किसी पशु पक्षी का संबंध होना पशु संरक्षण का प्रतीक है। हमें पालतू पशुओं के साथ लावारिस पशुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
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जानवरों के प्रति संवेदनशील धरती का प्राकृतिक
संतुलन बनाए रखने में पशु-पक्षियों की
भूमिका महत्वपूर्ण है । उनको भी धरती पर रहने का उतना ही हक है जितना मनुष्य जाति को । बेशक पशु-पक्षी मानव की
तरह बोल नहीं सकते हैं किन्तु मनुष्य
जाति से ज्यादा समझदार होते हैं । उनमें भी मानव की
तरह दर्द, भावनाएं,
प्यार होता है । पशु भी खुश एवं दु:खी होते हैं । पशु भी प्रत्येक बात समझते एवं महसूस करते हैं । वो किसी को क्षति
तभी पहुंचाते हैं जब वो उससे जोखिम महसूस करते हैं । यदि हम उनको प्यार देंगे तो वो भी दुलार करते हैं । पशु-पक्षी मानव से भी अधिक वफादार होते हैं । विद्यार्थियों से पूछे सवाल पशुओं के प्रति हमको कैसा
व्यवहार करना चाहिए ? जैसा कि आपने बताया है कि मानव एवं पशु-पक्षी एक
दूसरे पर निर्भर होते हैं । जब हम एक-दूसरे पर निर्भर हैं तो पशुओं के प्रति ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम आमजन से करते हैं । बेशक पशु हमारी जुबान न बोलते हों, किन्तु संवेदनाएं