पशुपालन के सिद्धान्त अथवा पशुओं के आवास एवं खाद्य प्रबन्धन का वर्णऩ कीजिए ।
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आदर्श पशुपालन के सामान्य सिद्धांत
संकर गाय में दो व्यात के बीच का अंतर 13 से 14 माह एवं भैंस में 14 से 15 माह का होना चाहिए।
जनने के बाद संकर गाय में 60 से 90 दिन एवं भैंस से 120 दिन में पुन: गर्भादान कराना चाहिए।
पशु के गर्मी (हीट) पर आने पर उसे अच्छी नस्ल के नर या कृतिम गर्भाधान के माध्यम से फलवाना चाहिए।
पशु के गर्मी पर आने के बाद 12 से 18 घंटे के बीच का समय कृतिम गर्भाधान के लिए सही माना जाता है।
पशु को फलवाने के दिन एवं दूसरे दिन सामान्य दिनों की अपेक्षा कम चारा पानी देना चाहिए।
फलवाने के बाद पशु को 20 से 21 दिन के बाद देखना चाहिए कि वह पुन: गर्मी पर आ रहा है या नहीं।
यदि पशु पुन: गर्मी पर आया हो तो उसे दोबारा गर्भाधान कराना चाहिए।
पशु फलवाने के बाद यदि गर्मी पर नहीं आ रहा है तो 3 माह पश्चात उसका गर्भ परीक्षण कराना चाहिए।
ग्यावन पशु के लिए यह ध्यान रखें कि उसे बांधने का स्थान साफ-सुथरा व हवादार हो, फर्श पक्का हो, लेकिन चिकना न हो।
ग्याभिन पशु को बांधते समय ध्यान रखें कि पशु का आगे का भाग नीचा रहे और पीछे का भग ऊंचा रहे।
ग्याभिन पशु को तेज दौड़ाना या उसके साथ मारपीट नहीं चाहिए।
ग्याभिन पशु को हरा चारा 25 किलोग्राम, सूखा चारा 5 किलोग्राम एंव संतुलित पशु आहार 2 किलो प्रतिदिन देना चाहिए।
जनते समय पशु को साफ-सुथरी एवं समतल जगह पर और एकांत में रखना चाहिए।
पशु को जनते समय तकलीफ हो रही है तो अनुभवी को दिखाना चाहिए।
पशुओं को जनने को जनने के पांच दिन पहले से आधा किलो छाछ (मठा) आधा लीटर पानी के साथ मिलाकर पिलाना चाहिए।
नवजात बच्चे को जन्म के बाद अच्छी तरह से साफ करने के बाद मां के सामने चाटने के लिए रखना चाहिए।
नवजात बच्चा 2 से 3 घंटे के बाद पैरों पर खड़ा होने लगता है। यह समय चीका पिलाने के लिए उचित होता है।
जन्म के बाद बच्चे की नाल को काटकर उस स्थान पर बीटाडीन लगाना चाहिए।
पशु की जड़ जनने के बाद 5 से 6 घंटे में गिर जानी चाहिए, यदि नहीं गिरती है तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
पशु की जड़ गिरने के बाद कुनकुने पानी से उसके पिछले हिस्से को अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए।
पशु को जनने के बाद 15 दिनों तक आहार के साथ पका हुआ दलिया, गुड़ और सूखा चारा देना चाहिए।
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