पशु-पक्षियों के साथ हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए ? answer in Hindi
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बड़े सीधे, बड़े भोले, बड़े सच्चे होते हैं, इंसानों से जानवर अच्छे होते हैं। ये पंक्तियां आज के माहौल पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। आज जब इंसानों के अंदर संवेदनाओं का ह्रास होता जा रहा है, वहीं पशु-पक्षी आज भी इन भावनाओं से ओतप्रोत नजर आते हैं। प्यार के दो बोलों और रोटी के चंद टुकड़ों के बदले जान तक दे देने वाले पशुओं के किस्से यदाकदा हमारे सामने आते रहते हैं। ऐसे में हमें उनके प्रति संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। हमें चाहिए कि हम उनके दुश्मन नहीं, बल्कि दोस्त बन कर उनके साथ पेश आएं।
मौजूदा दौर में हमारे अंदर मानवीय संवेदनाओं का ह्रास चिता का विषय बनता जा रहा है। बेजुबान मासूम जानवरों को सड़कों पर वाहन से कुचलते हुए आगे बढ़ जाना या फिर उन्हें तड़पता देख कर भी अनदेखा कर देना आजकल लोगों की फितरत बन चुकी है। अपने इस व्यवहार के कारण हम भूल जाते हैं कि हमारे बीच रहने वाले इन बेजुबान पशु-पक्षियों को केवल हमारा ही तो सहारा है। हम इनका ध्यान नहीं रखेंगे तो फिर कौन रखेगा। अपने इस ²ष्टिकोण में हमें परिवर्तन लाना होगा। याद रखिए, भले ही पशु-पक्षी अपना दर्द बयां न कर सकते हों लेकिन इंसान के प्रति प्यार और लगाव बहुत अच्छी तरह से बयां करते हैं। दो वक्त की रोटी और कुछ प्यार के पलों के बदले ये अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते हैं, इसलिए इनके प्रति हमारा व्यवहार बहुत प्यार वाला होना चाहिए। हमें नहीं भूलना चाहिए कि निसंदेह जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उन में भी मनुष्यों की तरह प्यार और दर्द की भावनाएं होती हैं। वे भी खुश और दुखी होते हैं। वे हर बात को समझते और महसूस भी करते हैं। ध्यान रहे कि जानवर भी भगवान का बनाया हुआ रूप हैं, इसलिए हमें उनके साथ अच्छे से रहना चाहिए। कभी उन्हें तंग न करें, न ही मारें। सदा उनके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। उनके भोजन-पानी का भी हमें ध्यान रखना चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों में प्रारंभ से ही ऐसे संस्कार डालें कि वे पशु-पक्षियों से प्रेम करना सीखें। पक्षियों को दाना डालना, पशुओं को रोटी खिलाना तथा चींटियों को आटा खिलाने की आदत हमें शुरू से बच्चों को सिखाना चाहिए। बचपन ही वह अवस्था है, जिसमें हम संस्कारों को अपने जीवन में उतार सकते हैं। बच्चा कच्ची मिट्टी के समान होता है, जिसे हम कुम्हार की तरह मनचाहे स्वरूप में ढाल सकते हैं। बचपन से डाले गए संस्कार ही बच्चों को पशुओं का मित्र बनने की सीख दे सकते हैं। हमें बच्चों को बताना चाहिए कि पशु भी बच्चों की तरह होते हैं। वे हमारे ध्यान और स्नेह के लिए तरसते हैं। जब उन्हें लगता है कि उनकी अनदेखी की जा रही है, तो वे हमारा ध्यान आकर्षित करने के तरीके खोजते हैं। इसलिए कभी उनसे शत्रुवत व्यवहार न कर, सदैव मित्र के रूप में पेश आना चाहिए
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ऩक्षऺयों के प्रतत हमारा व्यवहार अच्छा होना चाहहए ।
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