Pashu pakshiyon ke Prati sanvedanshil hokar Ham pariyawan ki madad kis Prakar kar sakte hain
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पशु-पक्षियों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। आप जैसा अपने बच्चों को सिखाते हैं, बच्चे भी वैसा ही सीखते हैं। यदि आप पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील हैं, तो आपके बच्चे भी संवेदनशील होंगे। बेजुबान जानवरों की तकलीफ को देख उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। ये शिक्षा बच्चों को नईदुनिया गुरुकुल की कहानी दुश्मन नहीं, दोस्त बने के माध्यम से दी गई। गुरुकुल के अंतर्गत स्मॉल वंडर्स स्कूल में दुश्मन नहीं, दोस्त बनें कहानी संतोष राजपूत ने सुनाई। बच्चों ने इस कहानी को उत्साह के साथ सुना और जाना की हम भी छोटे-छोटे प्रयास करके पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं। घर के छतों में सकोरे में पानी, चावल के दाने डालकर रख सकते हैं। जिससे पक्षी आपके घर के छत पर बैठकर आराम से दाना पानी ले सकें। पहले गौरेया अक्सर हर घर के बाहर घोंसला बनाकर रहती थी। सुबह होते ही उनकी चहचहाहट सुनाई देने लगती थी। आधुनिक समय में लोगों के घर भी आधुनिक है। जिसमें झरोखे नहीं होते। पक्षियों को कोई अच्छी जगह नहीं मिलती। खाने के लिए दाना नहीं मिलता। जिससे उनकी संख्या कम होती जा रही है। हमें इस बारे में सोचना चाहिए। कैसे हम पशु पक्षियों की मदद कर सकते हैं।