Hindi, asked by jrashi809, 3 months ago

Pashu pakshiyon per Chhoti aur Pyari Si kavitaen​

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Answered by gehnabhambri
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Answer:

उसकी सारी शख्सियत

नखों और दाँतों की वसीयत है

दूसरों के लिए

वह एक शानदार छलांग है

अँधेरी रातों का

जागरण है नींद के खिलाफ़

नीली गुर्राहट है

अपनी आसानी के लिए तुम उसे

कुत्ता कह सकते हो

उस लपलपाती हुई जीभ और हिलती हुई दुम के बीच

भूख का पालतूपन

हरकत कर रहा है

उसे तुम्हारी शराफ़त से कोई वास्ता

नहीं है उसकी नज़र

न कल पर थी

न आज पर है

सारी बहसों से अलग

वह हड्डी के एक टुकड़े और

कौर-भर

(सीझे हुए) अनाज पर है

साल में सिर्फ़ एक बार

अपने खून से ज़हर मोहरा तलाशती हुई

मादा को बाहर निकालने के लिए

वह तुम्हारी ज़ंजीरों से

शिकायत करता है

अन्यथा, पूरा का पूर वर्ष

उसके लिए घास है

उसकी सही जगह तुम्हारे पैरों के पास है

मगर तुम्हारे जूतों में

उसकी कोई दिलचस्पी नही है

उसकी नज़र

जूतों की बनावट नहीं देखती

और न उसका दाम देखती है

वहाँ वह सिर्फ़ बित्ता-भर

मरा हुआ चाम देखती है

और तुम्हारे पैरों से बाहर आने तक

उसका इन्तज़ार करती है

(पूरी आत्मीयता से)

उसके दाँतों और जीभ के बीच

लालच की तमीज़ जो है तुम्हें

ज़ायकेदार हड्डी के टुकड़े की तरह

प्यार करती है

और वहाँ, हद दर्जे की लचक है

लोच है

नर्मी है

मगर मत भूलो कि इन सबसे बड़ी चीज़

वह बेशर्मी है

जो अन्त में

तुम्हें भी उसी रास्ते पर लाती है

जहाँ भूख –

उस वहशी को

पालतू बनाती है।

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