Hindi, asked by bhardwajishant63, 8 months ago

passage in hindi vakti ka jivan ma santosh ka bahut mahatav ha asantosh ki parvati rahana sa keya hota ha. ​

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Answered by ajha29884
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Answer:

संतोष का अर्थ है तृप्ति, संतोष व्यक्ति को दृढ़निश्चयी और बलवान बनाता है। संतोष एक अवधारणा है‌। अगर कोई मनुष्य अपने मन-मस्तिष्क में इसे धारण कर पाता है, तो वह सुखी हो जाता है। संतोष से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि संतुष्ट होने का भाव है, तृप्त होने का भाव है। संतुष्टि से तात्पर्य है कि अपने कार्य से, अपने जीवन से आप कितना संतुष्ट हैं। संतुष्टि मस्तिष्क की उस अवस्था को व्यक्त करता है, जब भीतर से प्रसन्नता का आभाष होता है। सबसे सुखी, सबसे खुश व्यक्ति वही है जो अपने आप से संतुष्ट है।

संतोष है तो सुख है !

‘संतोषादनुत्तम् सुखराम:’ अर्थात् संतोष से जो सुख मिलता है वह सबसे उत्तम है। प्राचिन काल में ही मनिषियों ने जीवन में संतोष के महत्त्व को समझ लिया था‌। शास्त्रों में संतोष के महत्ता का वर्णन मिलता है। मनुस्मृति में उल्लेखित यह श्लोक संतोष को धारण करने की सीख देता है।

संतोषं परमस्थाय सुखार्थी संयतो भवेत्।

संतोष मूलं हि सुखं दुखमूलं विपर्यय:।।

अर्थात् सुख की इच्छा करने वाला व्यक्ति परम संतोष का धारण करके संयमित जीवन व्यतीत करे। क्योंकी संतोष ही सुख का मूल है और उसके विपरीत असंतोष दुख का कारण है।

संतोष खुशी देता है और शान्ति का अहसास कराता है

संतोषं परमं सौख्यं संतोषं परममृतम्।

संतोष: परमं पथ्यं संतोष: परमं हितम्।।

संतोष परम सुख है, परम अमृत, परम पथ्य और परम हितकारी है। अगर आपके मन में संतोष है, आप संतुष्ट हैं, तो आप आशावादी होते हैं। आशावादी दृष्टिकोण से आप निराशा और चिन्ता से मुक्त हो जाते हैं। आपके सभी दुख मिट जाते हैं, आप शांति से सोते हैं, खुशी खुशी जागते हैं। आप के ह्रदय में प्रेम और करुणा भरी रहती है और आप को असीम शांति का अहसास होता है।

असंतोष जहर है!

इसके ठीक विपरीत असंतोष असंतुष्टि का कारण है। असंतोष एक जहर है, जो मनुष्य को दुर्बल बना देता है। अगर असंतोष के भावना को रचनात्मक शक्ति में ना बदला जाए, तो वह खतरनाक भी हो सकती है। जीवन में आगे बढ़ना है, तो मन से असंतोष का भाव को निकालना होगा। अगर असंटुष्ट रहेंगें तो मन में निराशा का भाव रहेगा और आपको जीवन में आगे बढ़ने से रोकेगा।

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