passage:
मित्र को पथपदर्शक माना जाता है । हमारे जीवन की उन्नति तथा अवनति बहुत कुछ मित्र के चुनाव पर निर्भर करती है । अतः मित्र का चुनाब करते समय हमें विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए । ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए लाभकारी नहीं जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं ऐसे मित्र की हर बात हमें माननी पड़ती है । इससे हमारे चरित्र का स्वतंत्र विकास नहीं हो सकता । ऐसे लोगों का साथ भी उचित नहीं जो हमारी ही बात को ऊपर रखें मित्र ऐसा हो जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें । वह भाई के समान सहायक और हमारे पति सहानुभूति दिखानेवाला हो । जो गुण हममें नहीं वह हमारे मित्र में होने चाहिए । गंभीर प्रकृति वाले मनुष्य को विनोदी पुरूप का संग करना चाहिए और निर्वल को बलबान का तथा महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को किसी महान व्यक्ति की मित्रता करनी चाहिए । मित्र ऐसा चुनना चाहिए जिसके साथ हम अपने गुणों का आदान - प्रदान कर सकें ।
Questions:
1. मित्र जीवन का क्या होता है ?
2.कैसे लोगों का साथ करना हमारे लिए लाभकारी नहीं है ? और क्यों ?
3.लेखक मित्र को किसके समान सहायक मानता है ? और क्यों ?
4. ' मित्र ' शब्द का विलोम क्या है ?
5. अनुच्छेद का उपयुक्त शीर्षक लिखिए?
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Explanation:
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