Science, asked by saif6655, 11 months ago

Pasupalan me kya kya wyawasthaye honi chahiye?

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Answered by anshika9331
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का आवास जितना अधिक स्वच्छ तथा आरामदायक रहता है,पशु का स्वस्थ उतना ही अच्छा रहता है जिससे वह अपनी क्षमता के अनुसार उतना ही अधिक दुग्ध उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है।अत: दुधारू पशु के लिए साफ सुथरी तथा हवादार पशुशाला का निर्माण अतिआवश्यक है क्योंकि इसके आभाव से पशु दुर्बल हो जाता है और उसे अनेक प्रकार के रोग लग जाते है ।एक आदर्श गौशाला बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये:

(1)पशु का आवास का स्थान का चयन:
गौशाला का स्थान समतल तथा बाकि जगह से कुछ ऊँचा होना आवश्यक है ताकि बारिस का पानी,मल-मूत्र तथा नालियों का पानी इत्यादि आसानी से बाहर निकल सके।यदि गहरे स्थान पर गौशाला बनायी जाती है तो इसके चारो ओर पानी तथा गंदगी एकत्रित होती रहती है जिससे गौशाला में बदबू रहती है।गौशाला के स्थान पर सूर्य के प्रकाश का होना भी आवश्यक है।धुप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए।गौशाला की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से पूर्व व पश्चिम से सूर्य की रोशनी खिड़कियों व दरवाजों के द्वारा गौशाला में प्रवेश करेगी।सर्दियों में ठंडी व बर्फीली हवाओं से बचाव का ध्यान रखना भी जरूरी है।

(2)स्थान की पहुंच:
गौशाला का स्थान पशुपालक के घर के नज़दीक होना चाहिए ताकि वह किसी भी समय आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र गौशाला पहुंच सके।व्यापारिक माप पर कार्य करने के लिए गौशाला का सड़क के नज़दीक होना आवश्यक है ताकि दूध ले जाने, दाना, चारा व अन्य सामान लाने-लेजाने में आसानी हो तथा खर्चा भी कम हो।

(3)पशु का आवास का  बिजली,पानी कीसुविधा:
गौशाला के स्थान पर बिजली व पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखना आवश्यक है क्योंकि डेयरी के कार्य के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूर होती है, इसी प्रकार वर्तमान समय में गौशाला के लिए बिजली का होना भी आवश्यक है क्योंकि रात को रोशनी के लिए तथा गर्मियों में पंखों के लिए इसकी जरूरत होती है।

(4)चारे,श्रम तथा विपणन की सुविधा:
गौशाला के स्थान का चयन करते समय चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है क्योंकि चारे के बिना दुधारू पशुओं का पालना एक असम्भव कार्य है।हरे चारे के उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि का होना भी आवश्यक है।चारे की उपलब्धता के अनुरूप ही दुधारू पशुओं की संख्या रखी जानी चाहिए।पशुओं के कार्य के लिए श्रमिक की उपलब्धता भी उस स्थान पर होनी चाहिए क्योंकि बिना श्रमिक के पड़े पैमाने पर पशुपालन का कार्य चलना अत्यन्त कठिन होता है।दुग्ध उत्पाद जैसे दूध,पनीर,खोया आदि के विपणन की सुविधा भी पास में होना आवश्यक है अत: स्थान का चयन करते समय दुग्ध उत्पाद के विपणन सुविधा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।

(5)पशु का आवास का स्थान का वातावरण:
पशुशाला एक साफ-सुथरे वातावरण में बनानी चाहिए।प्रदूषित वातावरण पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है जिससे दुग्ध उत्पादन में कमी हो सकती है।पशुशाला के आसपास जंगली जानवरों का प्रकोप बहुत कम अथवा बिल्कुल नहीं होना चाहिए ताकि इनसे दुधारू पशुओं को खतरा न हो।

पशु का आवास बनाने की विधि:

दुधारू पशु का आवास आवास सामान्यत: दो प्रकार का होता है:(क) बंद आवास तथा (ख) खुला आवास

(क)बंद आवास:

इस विधि में पशु को बांध कर रखा जाता है तथा उसे उसी स्थान पर दाना-चारा दिया जाता है।पशु का दूध भी उसी स्थान पर निकाला जाता है।इसमें पशु को यदि चरागाह की सुविधा हो तो केवल चराने के लिए ही कुछ समय के लिए खोला जाता है अन्यथा वह एक ही स्थान पर बना रहता है।

इस प्रकार के आवास में कम स्थान की आवश्यकता है, पशुओं को अलग-अलग खिलाना, पिलाना संभव है, पशु की बिमारी का आसानी से पता लग जाता है तथा पशु आपस में लदी नहीं कर सकते।उपरोक्त लाभों के साथ-साथ इस विधि में कुछ कमियां भी है जैसेकी आवास निर्माण अधिक खर्चीला होता है, स्थान बढाये बगैर पशुओं की संख्या बढाना मुश्किल होता है, पशुओं को पूरी आज़ादी नहीं मिल पाती है तथा मद में आए पशु का पता लगाना थोडा मुश्किल होता है।

(ख)खुला आवास:

इस विधि में पशुओं को एक घिरी हुई चारदीवारों के अन्दर खुला छोड़ दिया जाता है तथा उनके खाने व पीने की व्यवथा उसी में की जाती है।इस आवास को बनाने का खर्च अपेक्षकृत कम होता है।इसमें श्रम की बचत होती है, पशुओं को ज्यादा आराम मिलता है तथा मद में आए पशु का पता आसानी से लगाया जा सकता है।इस विधि की प्रमुख कमियों में इसमें अधिक स्थान की आवश्यकता पडती है, पशुओं को अलग-अलग खिलाना संभव नहीं है तथा मद में आए पशु दूसरे पशुओं को तंग करते है।

(ग)अर्ध खुला आवास:

अर्ध खुला आवास बंद तथा पूर्ण आवासों की कमियों को दूर करता है।अत: आवास की यह विधि पशुपालकों के लिए अधिक उपयोगी है।इसमें पशु को खिलाने, दूध निकालने अथवा इलाज करते समय बाँधा जाता है, बाकी समय में उसे खुला रखा जाता है।इस आवास में हर पशु को 12-14 वर्ग मी. जगह की आवश्यकता होती है जिसमें से 4.25

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