Hindi, asked by ajneriyaaman6, 2 months ago

पतंग
1.
कबीर के पद
संतो भाई आई ग्यान की आधी रे।
भ्रम की टाटी सबै उडाणी, माया रहै न बांधीरे।।
हिति चित की द्वै यूँनी गिरांनी, मोह बलीड़ा टूटा।
त्रिस्ना छानि परी घर ऊपरि. कुबंधि का भाँडा फूटा।।
जोग जुगति करि संतनि बाँधी, निरचू चुवै न पाणी।
कूड 'कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाणी
आँधी पीछे जौ जल बूढा, प्रेम हरी जन मीना।
कहैं कबीर भान के प्रगटै, उदित भया तम छीना।।​

Answers

Answered by poonamkri95041
2

संदर्भ तथा प्रसंग – प्रस्तुत पद हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कबीर के पदों से लिया गया है। इस पद में कबीर मनुष्य के हृदय में ज्ञान का उदय होने पर, उसके समस्त दुर्गुणों के नष्ट हो जाने का उल्लेख कर रहे हैं।

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