पतंग के बारे में हिंदी में 20to30 वाक्य
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पतंग एक धागे के सहारे उड़ने वाली वस्तु है जो धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करती है। पतंग तब हवा में उठती है जब हवा (या कुछ मामलों में पानी) का प्रवाह पतंग के ऊपर और नीचे से होता है, जिससे पतंग के ऊपर कम दबाव और पतंग के नीचे अधिक दबाव बनता है। यह विक्षेपन हवा की दिशा के साथ क्षैतिज खींच भी उत्पन्न करता है। पतंग का लंगर बिंदु स्थिर या चलित हो सकता है
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हमारे देश में कई लोग त्योहारों पर तो कई लोग ख़ुशी के लिए पतंग उड़ाते हैं | पतंग उड़ाने की कलां यह प्राचीन कलां हैं | यह कलां प्राचीन काल से चली आ रही हैं |
देश के हर कोने – कोने में बच्चे और जवान पतंगबाजी करते हैं | हमारे देश में ज्यादा पतंग बसंत ऋतू में उड़ाए जाता हैं |
इस दिन बहुत सारी पतंग उड़ती है जिसके कारण आसमान पूरा पतंगों से भरा हुआ दिखता हैं | भारत के लोग स्वतंत्रता दिवस पर भी पतंग उड़ाते हैं | सबसे ज्यादा बच्चों के द्वारा पतंग उडाए जाते हैं |
पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात
ऐसा माना जाता है की, पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात चीन में हुई थी | चीनी लोगों के द्वारा सबसे पहली पतंग बनाई गयी थी |
पतंग यह एक पंख हैं | कच्चे धागे से आसमान में उड़ाया जाता हैं | पतंग को दो समान भाग होते हैं | यह दोनों भाग एक समान होते हैं |
पतंग यह हवा में उड़ाया जाता हैं लेकिन जैसी हवा आती हैं उस तरह से पतंग आसमान को उड़ाया जाता हैं | पतंग आसमान में काफी दूर तक उडाता हैं |
बच्चे जब आसमान में पतंग उड़ाते हैं, तब उनको बहुत ख़ुशी होती हैं | और जैसे ही पतंग निचे आने लगता हैं, तो बच्चे रोने लगते हैं | क्योंकि पतंग उड़ाने पर बहुत ख़ुशी हो जाती हैं और गिरती हुई पतंग दुःख देती हैं |
आसमान में उड़ती हुई पतंग हमें स्वतंत्रता का एहसास दिलाती हैं | जिस तरह से वो आसमान में उडती पतंग स्वतंत्रता का प्रतिक मानी जाती हैं | लेकिन वो एक कच्चे धागे से बंधी हुई होती हैं | पतंग धागे में बंधने के कारण वो आसमान में ऊंचाई तक उड़ती हैं |
निष्कर्ष:
पतंग उड़ाना यह भी एक कला हैं | अगर पतंग की डोर कच्ची होती हैं, तो जमीं पर आके तुरंत गिर जाती हैं | उसी तरह से मनुष्य के जीवन का डोर भरोसे और उम्मीद के सहारे पर चलता हैं |