Hindi, asked by ranjitak63, 6 hours ago

पतंग की डोर तथा अनुशासन में क्या समानताएं हैं?​

Answers

Answered by Matheureii
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Answer:

idont understand sir

Explanation:

pls make it english

Answered by ajitdhanshri1234
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Answer:

Explanation:

आकाश में तैरती रंग-बिरंगी पतंगें भला किसे अच्छी नहीं लगती? एक डोर से बँधी हवा में हिचकोले खाती हुई पतंग कई अर्थों में हमें अनुशासन सिखाती हैं, जरा उसकी हरकतों पर ध्यान तो दीजिए, फिर समझ जाएँगे कि मात्र एक डोर से वह किस तरह से हमें अनुशासन सिखाती है।

अनुशासन कई लोगों को एक बंधन लग सकता है। निश्चित ही एकबारगी यह सभी को बंधन ही लगता है, पर सच यह है कि यह अपने आप में एक मुक्त व्यवस्था है, जो जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए अतिआवश्यक है। आप याद करें, बरसों बाद जब माँ पुत्र से मिलती है, तब उसे वह कसकर अपनी बाहों में भींच लेती है। क्या थोड़े ही पलों का वह बंधन सचमुच बंधन है? क्या आप बार-बार इस बंधन में नहीं बँधना चाहेंगे? यहाँ यह कहा जा सकता है कि बंधन में भी सुख है। यही है अनुशासन।

धागों में कहीं भी अवरोध या गठान का होना भी पतंगबाजों को शोभा नहीं देता। क्योंकि यदि पेंच लड़ाते समय यदि प्रतिद्वंद्वी का धागा उस गठान के पास आकर अटक गया, तो समझो कट गई पतंग। क्योंकि पतंग का धागा वहीं रगड़ खाएगा और डोर का काट देगा। जीवन भी यही कहता है। जीवन में मोहरूपी अवरोध आते ही रहते हैं, परंतु सही इंसान इस मोह के पडाव पर नहीं ठहरता, वह सदैव मंजिल की ओर ही बढ़ता रहता है। 'चलना जीवन की कहानी, रुकना मौत की निशानी' यही मूलवाक्य होना चाहिए। पचीस या पचास पैसे से शुरू होकर पतंग हजारों रुपयों में भी मिलती है। इसी तरह जीवन के अनुभव भी हमें कहीं भी किसी भी रूप में मिल सकते हैं। छोटे से बच्चे भी प्रेरणा के स्रोत बन सकते हैं, तो झुर्रीदार चेहरा भी हमें अनुभवों के मोती बाँटता मिलेगा। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस तरह से अनुभवों की मोतियों को समेटते हैं।

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