पतंग कविता में अलंकार योजना स्पष्ट कीजिए
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Explanation:
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा’, यहां पर उपमा अलंकार है।
उपमा अलंकार किसे कहते हैं? :
जहां पर उपमेय और उपमान में किसी गुण के कारण तुलना या समानता करना संभव हो, वहां पर उपमा अलंकार होता है।
उपमेय अर्थात जिसका वर्णन किया जाये। यहां पर ‘लाल सवेरा’ का वर्णन किया जा रहा है, तो वह हुआ उपमेय। उपमान अर्थात जिसके साथ उसकी तुलना की जाये। यहां पर ‘खरगोश की आँखों’ उपमान है।
शरद आया पुलों को पार करते हुए’, यहां पर शरद ऋतु का मानवीकरण किया गया है। अतः मानवीकरण अलंकार है।
मानवीकरण अलंकार किसे कहते है?
जब कविता में प्रकृति अथवा अन्य जड़ वस्तुओं पर मानवीय चेश्टाओं का आरोप किया जाता है, तो वहां पर मानवीकरण अलंकार होता है। यहां शरद को साईकिल पुल पार करके आते हुए चित्रित किया गया है।
1 उपमा अलंकार : ‘दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए’, ‘डाल की तरह लचीले वेग से अक्सर’।
2 उत्प्रेक्षा अलंकार : ‘जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास’, ‘पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं’।
उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं? :
जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाये अर्थात् अप्रस्तुत को ही प्रस्तुत मान लिया जाये अथवा उपमेय की संभावना उपमान में की जाये, वहां पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यहां ‘मानो’ षब्द लुप्त है। उसे आरंभ में लगा देने पर अर्थ व्यंजना हो जाती है।
पतंग कविता में अलंकार योजना स्पष्ट कीजिए।
हिंदी कविता में मानवीकरण, उपमा जैसे अलंकारों का प्रयोग किया गया है। पतंग कविता में सबसे अधिक मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है। इसमें प्राकृतिक तत्वों को मानवीय रूप में किया करते दिखाया गया है।
जैसे
शरद आया पुलों को पार करते हुए अथवा नई लाल साइकिल तेजी से चलाते हुए।
इस तरह प्राकृतिक तत्वों को मानवीय रुप में क्रिया करते दर्शाकर मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
इसके अलावा पतंग कविता में उपमा अलंकार का भी प्रयोग किया गया है और शरदकालीन सुबह की तुरना खरगोश की लाल आँखों से की गई है।
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