पतंग शीर्षक कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए
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पतंग’ आलोक धन्वा द्वारा रचित कविता है, जिसमें कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। उन्होंने बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तनों को सहज भाव से अभिव्यक्त किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जो आसमान में उड़ता है, जिसे बालमन छूना चाहता है। बच्चे उमंग में झूमकर आसमान को पार कर जाना चाहते हैं।
एक ओर शरद ऋतु का चमकीला संकेत है जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है। बच्चों की किलकारियों से दिशाएँ भी मृदंग के समान बजती हैं। पच्ची भी उनकी कोमलता को छूने हेतु स्वयं उनका स्पर्श करना चाहती है। वे हर बार नवीन पतंगों का सबसे ऊँचा उझने का साहस लिए बार-बार भादों (अंधेरे) के पश्चात शरद (उजाले) की प्रतीक्षा करते है।
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पतंग कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। पतंग' आलोक धन्वा द्वारा रचित कविता है, जिसमें कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। ... पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जो आसमान में उड़ता है, जिसे बालमन छूना चाहता है। बच्चे उमंग में झूमकर आसमान को पार कर जाना चाहते हैं।
Explanation:
'पतंग' एक लंबी कविता है। ... पतंग के बहाने कवि ने बाल सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तनों को अभिव्यक्त करने के लिए सुंदर बिंबों का उपयोग किया गया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है।