पटाखों से होने वाले पदुषण के पति ध्यान आकर्षित करते हुए मित्र को पत्र लिखिए व बताइए कि पदुषण कम करने के लिए आप क्या पयास कर रहे है
Answers
32 , अमिला मार्ग ,
नेहरू कालोनी ,
कुशीनगर ।
दिनांक = 05/06/2018
प्रिय मित्र रवि ,
कैसे हो ? तुम्हारा कल पत्र मिला । मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि तुम्हारे घर में सभी सकुशल हैं । और तुम्हारी बहन ने स्कूल में प्रथम आयी ।
सबसे पहले तुम्हें दीवाली कि ढेर सारी शुभकामनाएँ । यार याद हैं जब हम दोनों 8th क्लास में थे । तो हमारे अध्यापक ने क्या सिखाया । उन्होंने दीवाली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण के विषय में कितने अच्छे से बताया था ।और इनसे होने वाली बीमारियों जैसे सिर दर्द , साँस लेने में दिक्कत और पर्यावरणीय प्रदूषण आदि के बारे में भी बताया था । और हमने पटाखे बिना ही दीवाली मनाने का निश्चय किया था ।
आशा हैं वह सब तुम्हें अब भी बहुत अच्छे से याद होगा । और पटाखे बिना दीवाली मनाओगे और अधिक से अधिक लोगों को पटाखे बिना दीवाली मनाने के लिए उत्साहित करोगे । जिससे पर्यावरण प्रदूषण व धुंध कम होगा ।
धन्यवाद ।
तुम्हारा प्रिय मित्र
अर्जुन ।
पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए मित्र को पत्र निम्न प्रकार से लिखा गया है व प्रदूषण कम करने के लिए किए गए प्रयासों को भी बताया गया है।
104, कुंज विला,
ठाणे ईस्ट,
मुंबई।
दिनांक : 7/11/22
प्रिय मित्र ,
अरविंद ।
आशा है तुम वहां पर सकुशल होंगे। यहां पर भी सब कुशल मंगल है।
आगे समाचार यह है कि तुम्हे दिवाली की शुभकामनाएं न दे सका जिसके लिए क्षमा चाहता हूं। दरअसल मै दिवाली से पहले ही बीमार पड़ गया जिसके कारण न तो किसी से मिलने गया तथा न ही शुभकामना पत्र लिख सका।
बात यह है कि हमारे यहां मुंबई में प्रदूषण बहुत फ़ैल रहा है , वैसे ही इस शहर में प्रदूषण बहुत है। उसके बावजूद दिवाली से दस बारह दिन पहले से ही लोग पटाखे जलाना शुरू कर देते है , दरअसल दशहरे से ही पटाखों की आवाजे आने लगती है व प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो जाता है।
इस प्रदूषण के कारण ही मुझे संक्रमण हो गया तथा डॉक्टर ने कुछ दिन घर से बाहर निकलने के लिए मना किया है।
मै चाहता हूं कि तुम भी लोगो को दिवाली में पटाखे न जलाने का परामर्श दो।
मै जब से बीमार पड़ा हूं, यथासंभव प्रयत्न कर रहा हूं कि लोग पटाखे न जलाए। मै अपनी सोसायटी में हर एक घर में गया तथा प्रत्येक व्यक्ति से निवेदन किया कि कृपया पटाखे न जलाए।
हमने एक वाद विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की जिसका विषय था " पटाखे जलाना उचित है अथवा अनुचित ।"
मैंने बच्चो को भी मना लिया कि पटाखों पर पैसे व्यर्थ करने की अपेक्षा अनाथ बच्चो को दिवाली में उपहार स्वरूप कुछ खरीद कर दें।
मेरे इन प्रयत्नों से हमारी सोसायटी के लोग तो मान गए परन्तु आस पास के लोग सभी नहीं समझ सके ।
मेरा प्रयत्न जारी है।
अब मै यह पत्र यही समाप्त करता हूं।
माताजी व पिताजी को मेरा प्रणाम देना।
तुम्हारा मित्र ,
क. ख. ग ।
#SPJ2