पत्रों के प्रकार तथा उनके अंगों के प्रकार भी लिखें
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Explanation:
सक्षिप्तता– पत्र में विषय का वर्णन संक्षेप में करना चाहिए. एक ही बात को बार बार दोहराने की प्रवृति से बचना चाहिए.
संतुलित भाषा का प्रयोग- पत्र में सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए. ऐसे शब्दों का प्रयोग नही करना चाहिए, जिन्हें पत्र पाने वाला नही समझता हो.
तारतम्यता– पत्र में सभी बातें एक तारतम्य में रखी जानी चाहिए. ऐसा न हो कि आवश्यक बाते छुट जाए और कम महत्व की बातों का अधिकाँश भाग में प्रयुक्त हो जाए. पत्र में सभी बातें उचित क्रम में लिखी होनी चाहिए.
शिष्टता- पत्र में संयमित, विनम्र और शिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए. कडवाहट भरे शब्द लिखना या अशिष्ट भाषा का प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है.
सज्जा- पत्र को साफ़ सुथरे कागज पर सुलेख में लिखा जाए. तिथि, स्थान व संबोधन यथास्थान लिखने से पत्र में आकर्षण बढ़ जाता है.
पत्र के अंग (Parts of the letter)
जो बातें सामान्यत सभी प्रकार के पत्रों में होती है, उन्हें पत्र के आवश्यक अंग कहते है. पत्रों के छ अंग होते है जो ये है.
संबोधन और अभिवादन- यह पत्र में बाई ओर लिखा जाता है. पारिवारिक पत्रों में संबोधन लिखा जाता है. जैसे पूज्य पिताजी, प्रिय भाई आदि. सरकारी और व्यावसायिक पत्रों में संबोधन की विधि निर्धारित होती है
, जैसे महोदय, प्रिय महोदय. अभिवादन भी व्यक्ति के पद या मर्यादा के अनुरूप लिखा जाता है. जैसे सादर प्रणाम, नमस्कार, आशीर्वाद लिखा जाता है.
पत्र भेजने की तिथि (Date of sending letters)
अनौपचारिक पत्रों में भेजने वाले के पते के नीचे, दिनाकं, महिना और सन लिखा जाता है. औपचारिक पत्रों में दिनाकं सबसे नीचे लिखा जाता है.
पत्र की विषय सामग्री (The content of the letter)
यह पत्र का मुख्य भाग है. इसी में समाचार सूचनाएँ, आवेदन, आदेश व शिकायत आदि अलग अलग अनुच्छेदों में लिखा जाता है.
पत्र का अंत (End of letter)
पत्र के अंत में बाई ओर ही पत्र लिखने वाले के द्वारा अपने सम्बन्ध या पड़ के अनुरूप शब्द यथा भवदीय, आपका, आज्ञाकारी, शुभेच्छु आदि लिखकर नीचे अपने हस्ताक्षर किये जाते है.
भेजने वाले का पता-बाई ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है. इससे पत्र प्राप्त करने वाले को, पत्र भेजने वाले का सही सही पता ज्ञात हो जाता है. और उसे उतर भेजने में कठिनाई नही होती है.
पत्र पाने वाले का पता– पत्र समाप्ति के बाद पोस्टकार्ड, अंतरदेशीय पत्र तथा लिफ़ाफ़े पर पत्र पाने वाले का स्पष्ट पता लिखा जाता है. पते के साथ पिनकोड अवश्य लिखना चाहिए.
सम्बोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के कुछ उदहारण
गुरुजनों और परिवार के बड़े लोगों को
संबोधन- मान्यवर, आदरणीय, पूजनीय, श्रद्धेय, माननीय, पूजनीया
अभिवादन- सादर स्पर्श
अंत के शब्द- आपका आज्ञाकारी पुत्र, भाई, अनुज, छात्र, शिष्य, आदि स्त्रिलिग़ में आज्ञाकारी पुत्री, बहन, छात्रा, शिष्या आदि.
बराबर वालों को
संबोधन– प्रिय मित्र, प्रिय भाई, प्रिय बहिन, बंधुवर, प्रियवर आदि.
अभिवादन- नमस्कार
अंत के शब्द– स्त्रीलिंग में तुम्हारी प्रिय सखी, बहिन आदि.
छोटों को
संबोधन– चिरंजीव, प्रिय, आयुष्मती
अभिवादन- शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो
अंत के शब्द- तुम्हारा, शुभेच्छु, शुभचिंतक, हितैषी आदि.
परिचित को
संबोधन- प्रिय (नाम), श्रीमती (नाम), विवाहितों के लिए
अभिवादन– नमस्ते
अपरिचित को
संबोधन– प्रिय, महाशय, महोदय, महोदया, श्री (नाम)
अभिवादन- नमस्कार
अंत के शब्द– भवदीय, आपका (स्त्रीलिंग में) भवदीया, आपकी
किसी अधिकारी को
संबोधन– महोदय, महोदया
अभिवादन- नमस्ते
अंत के शब्द– भवदीय, भवदीया
English mein bol??????