पत्रों की दुनिया को अजीबो गरीब क्यों कहा गया है
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पत्रों की दुनिया को अजीबो गरीब क्यों कहा गया है:
पत्रों की दुनिया सभी साधनों से अलग सा अहसास महसूस करवाते है| पत्र जिसे हम पहले जमानें में चिढ़ी कहते थे| एक दुसरे का हल चाल पूछने के लिए पत्र लिखते और फ़िर काफ़ी दिनों तक उस पत्र क जवाब का इंतजार करते थे | पत्र में सब कुछ लिख सकते थे दिल खोल के |
पत्र द्वारा भेजा गया संदेश में अलग से प्यार होता था, सम्मान होता था| यह पत्र सालो साल हमारे पास रहते है तथा कभी भी हम इन्हें बैठकर वापस पढ़कर पुरानीबातें याद कर सकते है| पत्र को यादों के तोर पर रख सकते थे|
पत्र का महत्व जीवन में हमेशा बनी रहती है| पत्र जो काम कर सकते है वह आज के समय के आधुनिक साधनों में वह बात नहीं है| पत्र का एहसास आज के फोन , sms , आदि पूरा नहीं कर सकते| दुनिया का सारा साहित्य पहले से अभी तक पत्रों पर आधारित है| इसलिए पत्रों के लिए अजीबो-गरीब का नाम दिया है|
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Patra ka mahatva in Hindi nibandh
Given that,
The world of letters called weird
We know that,
The world of letters called weird because the world of letters is also strange and its utility has always been there. The work that letters can do is not the latest means of communication.
When we send a message like sms and simple text msg then the receiver do not feel very happy and satisfaction but when we send a letter then the receiver feels happy and satisfaction through the letter.
The world of letters is very strange - poor - in the past, pigeons, horses were used as other things.
Hence, The world of letters called weird