पत्र लेखक की व्यक्तित्व की होती है
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पत्रलेखन एक कला है
पत्रलेखन एक कला हैजिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। ... एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है|
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