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सीबीएसई कक्षा 10 हिन्दी की परीक्षा के लिए पत्र लेखन, विज्ञापन, अनुच्छेद, चित्र वर्णन आदि के फार्मेट यहां से देेंखे
by AglaSem EduTech March 5, 2018 Reading Time: 1min read
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जैसा कि आप जानते हैं कि कल सीबीएसई कक्षा 10 का हिन्दी का पेपर है। और सभी परीक्षार्थी अपने पेपर की तैयारी करने में लगे हैं। आपको पता ही होगा कि हिन्दी का पेपर कैसा आता है और उसमें क्या क्या पूछा जाता है। अगर आप सीबीएसई कक्षा 10 का हिन्दी का पेपर पैटर्न देखना चाहते हैं तो यहां से देख सकते हैं। आपको पता होगा कि आपके पेपर में आपको एक पत्र लिखने के लिए आएगा। पत्रत्र लिखने का एक फार्मेट होता है। और अगर आप सही फार्मेट में लिखते हैं तो आपको अच्छे और पूरे नंबर मिलेंगे। और अगर आपने फार्मेट सही नहीं लिखा है तो आपके नंबर कट जाएंगे। तो आज हम आपको बताते हैं कि आपको पत्र कैसे लिखना चाहिए।
पत्र लेखन
जैसा कि आप जानते हैं कि पत्र दो प्रकार के होते हैं। एक फॉर्मल पत्र यानी कि औपचारिक पत्र दूसरे इनफार्मल पत्र यानी कि अनौपचारिक पत्र। हम आपको पहले बताते हैं कि आपको अनौपचारिक पत्र कैसे लिखना है। अनौपचारिक पत्र लिखने का सही फार्मेट क्या होता है।
अनौपचारिक पत्र
जब भी आप अनौपचारिक पत्र लिखते हैं तो अपने से छोटों के लिए प्रिय और बराबर वालों के लिए प्रिय और अपने से बडों के लिए पूज्य या पूजनीय या आदरणीय लगाते है। और पता की जगह परीक्षा भवन और दिनांक लिखते हैं। उसके बाद संबोधन, अभिवादन करते हैं। और फिर पहले पैरा में विषय प्रतिपादन, दूसरे पैरा में विषय के बारे में, और तीसरे पैरा में औपचारिक बातें लिखते हैं। जैसे कि-
परीक्षा भवन,
00.00.2018
पूज्य पिताजी,
सादर चरण- स्पर्श
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आपका या आपकी आज्ञाकारी
क ख ग
औपचारिक पत्र
सेवा में,
प्रधानाचार्य
उदय प्रताप कॉलेज
वाराणसी
विषय- स्थानांतरण प्रमाण पत्र हेतु अनुरोध
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि———————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————-
आपकी अति कृपा होगी।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क ख ग
कक्षा-
दिनांक-
संवाद लेखन
आपके पेपर में सवांद भी लिखने को आता है। जब भी संवाद लिखें इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
आपके संवाद की भाषा सरल और संक्षिप्त हो।
संवाद रोचक होने चाहिए।
संवाद जो भी सुने उस पर प्रभाव डालें ऐसे हों।
संवाद विषय और पात्र के अनुकूल हों।
संवाद लेखन उदाहरण
महिला ( एक )- अरे! काजल आज तुम बहुत दिनों बाद दिखाई दीं कहां थीं
महिला (दूसरी)- माता जी की तबीयत खराब हो गई थी इसलिए इधर आना नहीं हुआ।
महिला ( एक )- अरे! क्या हो गया था?
महिला (दूसरी)- उनके पैरों में काभी दर्द था। जिस कारण वो चल नहीं पा रहीं थीं।
महिला ( एक )- अब ढीक हैं माता जी?
महिला (दूसरी)- हां! अब पहले से आराम है।
अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
यह एक ही अनुच्छेद(पैराग्राफ) में लिखा जाता है।
यह मुख्य विषय को आधार बना कर लिखा जाता है।
शब्दों का प्रयोग इस प्रकार हो की बड़े से बड़े वाक्य में एक शब्द एक बार ही उपयोग हो।
विषय वर्णन इस प्रकार हो कि वो आकर्षक लगे, अशुद्धि रहित हो और वाक्य क्रम में हों।
अनुच्छेद अक्सर 90-120 शब्दों में लिखा जाता है।
निबंध विस्तार में होता है जबकि अनुच्छेद लेखन का मतलब विस्तार को संक्षेप में लिखना होता है।
अनुच्छेद उदाहरण
विषय – कंप्यूटर युग
शब्द – विज्ञान, वैज्ञानिक, चिकित्सा, दुष्प्रभाव।
आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। किसी देश का विकास उसके वैज्ञानिक, औद्योगिक व तकीनीकी प्रगति पर निर्भर करता है। आज कंप्यूटर बैंक, रेलवे-स्टेशन, हवाई-अड्डे, डाकखाने, कारखाने, व्यवसाय हर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन के कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कंप्यूटर के अविष्कार ने जीवन को सरल, सुगम और सुविधाजनक बना दिया है। बिल भरना, रेलवे या हवाई जहाज के टिकट करवाना, परीक्षा परिणाम देखना, अपने हाल-चल एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को देना आदि अनेक कार्य है जो की कंप्यूटर के मदद से बहुत ही आसान हो गए हैं। कंप्यूटर ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है। जैसे की इसके बहुत सारे फायदे हैं वैसे ही इसके बहुत सारे दुष्प्रभाव भी हैं। इसका दुष्प्रभाव उसके संबंधों के सीमित होने, साधन को साध्य मानने, स्वास्थ और सामाजिक जीवन में कमी आने के रूप में देखने को मिल रहा है। मनुष्य को समझना चाहिए की वह इसका दास नहीं है, इसे सिर्फ एक साधन माने और इसका उचित उपयोग तभी करे जब ज़रुरत हो तभी उसका जीवन सफल होगा और वह विकास की तरफ अग्रसर होगा।
संवाद लेखन की परिभाषा
- जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को लिखा जाता है तब वह संवाद लेखन कहलाता है। संवाद लेखन काल्पनिक भी हो सकता है और किसी वार्ता को ज्यों का त्यों लिखकर भी।
- भाषा, बोलने वाले के अनुसार थोड़ी-थोड़ी भिन्न होती है।
- उदाहरण के रूप में एक अध्यापक की भाषा छात्र की अपेक्षा ज्यादा संतुलित और सारगर्भित (अर्थपूर्ण) होगी। एक पुलिस अधिकारी की भाषा और अपराधी की भाषा में काफी अन्तर होगा। इसी तरह दो मित्रों या महिलाओं की भाषा कुछ भिन्न प्रकार की होगी। दो व्यक्ति, जो एक-दूसरे के शत्रु हैं- की भाषा अलग होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि संवाद-लेखन में पात्रों के लिंग, उम्र, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।
- संवाद-लेखन में इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए कि वाक्य-रचना सजीव हो। भाषा सरल हो। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग कम-से-कम हो। संवाद के वाक्य बड़े न हों। संक्षिप्त और प्रभावशाली हों। मुहावरेदार भाषा काफी रोचक होती है। अतएव, मुहावरों का यथास्थान प्रयोग हो।
संवाद लेखन के उदाहरण
रोगी और वैद्य का संवाद –
रोगी- (औषधालय में प्रवेश करते हुए) वैद्यजी, नमस्कार!
वैद्य- नमस्कार! आइए, पधारिए! कहिए, क्या हाल है ?
रोगी- पहले से बहुत अच्छा हूँ। बुखार उतर गया है, केवल खाँसी रह गयी है।
वैद्य- घबराइए नहीं। खाँसी भी दूर हो जायेगी। आज दूसरी दवा देता हूँ। आप जल्द अच्छे हो जायेंगे।
रोगी- आप ठीक कहते हैं। शरीर दुबला हो गया है। चला भी नहीं जाता और बिछावन (बिस्तर) पर पड़े-पड़े तंग आ गया हूँ।
वैद्य- चिंता की कोई बात नहीं। सुख-दुःख तो लगे ही रहते हैं। कुछ दिन और आराम कीजिए। सब ठीक हो जायेगा।
रोगी- कृपया खाने को बतायें। अब तो थोड़ी-थोड़ी भूख भी लगती है।
वैद्य- फल खूब खाइए। जरा खट्टे फलों से परहेज रखिए, इनसे खाँसी बढ़ जाती है। दूध, खिचड़ी और मूँग की दाल आप खा सकते हैं।
रोगी- बहुत अच्छा! आजकल गर्मी का मौसम है; प्यास बहुत लगती है। क्या शरबत पी सकता हूँ?
वैद्य- शरबत के स्थान पर दूध अच्छा रहेगा। पानी भी आपको अधिक पीना चाहिए।
रोगी- अच्छा, धन्यवाद! कल फिर आऊँगा।
वैद्य- अच्छा, नमस्कार।
अच्छी संवाद-रचना के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
(1) संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक होने चाहिए।
(2) संवादों में रोचकता एवं सरसता होनी चाहिए।
(3) इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा अप्रचलित (जिन शब्दों का प्रयोग कोई न करता हो) शब्दों का प्रयोग न हो।
(4) संवाद पात्रों की सामाजिक स्थिति के अनुकूल होने चाहिए। अनपढ़ या ग्रामीण पात्रों और शिक्षित पात्रों के संवादों में अंतर रहना चाहिए।
(5) संवाद जिस विषय या स्थिति के विषय में हों, उस विषय को स्पष्ट करने वाले होने चाहिए अर्थात जब कोई उस संवाद को पढ़े तो उसे ज्ञात हो जाना चाहिए की उस संवाद का विषय क्या है।
(6) प्रसंग के अनुसार संवादों में व्यंग्य-विनोद (हँसी-मजाक) का समावेश भी होना चाहिए।
(7) यथास्थान मुहावरों तथा लोकोक्तियों के प्रयोग करना चाहिए इससे संवादों में सजीवता आ जाती है। और संवाद प्रभावशाली लगते हैं।
(8) संवाद बोलने वाले का नाम संवादों के आगे लिखा होना चाहिए।
(9) यदि संवादों के बीच कोई चित्र बदलता है या किसी नए व्यक्ति का आगमन होता है, तो उसका वर्णन कोष्टक में करना चाहिए।
(10) संवाद बोलते समय जो भाव वक्ता के चेहरे पर हैं, उन्हें भी कोष्टक में लिखना चाहिए।
(11) यदि संवाद बहुत लम्बे चलते हैं और बीच में जगह बदलती हैं, तो उसे दृश्य एक, दृश्य दो करके बांटना चाहिए।
(12) संवाद लेखन के अंत में वार्ता पूरी हो जानी चाहिए।