पत्र लेखन छोटे भाई को सादगी और सदाचार के संबंध में पत्र लिखिये
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21, विवेकनगर,
देवास, मध्य प्रदेश
दिनांक 4-12-2016
प्रिय महेश,
प्रसन्न रहो।
कल पिताजी का पत्र मिला। उसमें तुम्हारे बारे में पढ़कर हृदय को अत्यधिक आघात लगा। मैं तुम्हें इस बात के लिए नहीं रोकूँगा कि तुम अच्छे कपड़े न पहना करो, लेकिन फैशनपरस्ती के चक्रव्यूह से दूर रहने के लिए अवश्य कहूँगा। जो शिक्षार्थी इस चक्रव्यूह के दल-दल में फँस जाते है, उसे जीवन में कभी भी सिद्धि प्राप्त नही होती है। भाई, सिद्धि की प्राप्ति करना एक तप करने के समान ही है।
इसके लिए एक शिक्षार्थी को सादगी से रहना चाहिए और सदाचार को जीवन में अपनाना चाहिए। सादगी और सदाचार से आत्मा परम उज्ज्वल होती है और बुद्धि को विकास होता है। वास्तव में तो बुद्धि का विकास ही सिद्धि का सोपान है। विश्व में आजतक जितने भी महापुरूषों ने सिद्धि प्राप्त करके अपना नाम उज्ज्वल किया है, उनके जीवन का मूलमंत्र सादगी और सदाचार ही रहा है। तुम्हें भी सादगी और सदाचार की राह पर चलकर ही उन्हीं की तरह ही अपना नाम उज्ज्वल करना चाहिए।
आशा करता हूँ कि, मेरा यह पत्र तुम्हारा मार्ग प्रशस्त करेगा।
तुम्हारा अग्रज,
विनोद