Hindi, asked by pranshurajan567, 6 months ago

पत्र लेखन :
“ COVID-19 ” की वजह से हुए हुए लॉकडाउन के समय को आपने कैसे व्यतित किया उसका वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए ।
Please answer me. This is my Diwali Homework. And don't come here to grab free points. Anyone give irrevelant and wrong answers, I will report your answer and all your questions and answers.​​
Please write the letter in Hindi.​

Answers

Answered by ankitasingh2352
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Answer:

भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन जारी है. सड़कें सूनी पड़ी हैं. कामकाज ठप पड़ा है. और लोग घरों में लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं.

लेकिन इस सबके बीच एक अच्छी ख़बर ये आई है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत तमाम दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी आई है.सोशल मीडिया पर जालंधर से बर्फीली चोटियां और कांगड़ा से हिमालय दिखाने का दावा करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं.

आंकड़े क्या कहते हैं?

आँकड़ों की बात करें तो दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन पर साल 2018 और 2019 के दौरान 5 अप्रैल को पीएम 2.5 का स्तर तीन सौ से ऊपर था.लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से ये स्तर गिरकर 101 पर आ गया है.

लॉकडाउन के दौरान कितना कम हुआ प्रदूषण?

  1. नासा ने वायुमंडल में एयरोसॉल की मौजूदगी से प्रदूषण का आकलन किया, पिछले 3 साल की तस्वीरों से तुलना की।
  2. एयरोसॉल हवा में घुले लिक्विड और सॉलिड से बने सूक्ष्म कण हैं, इनसे फेफड़ों और हार्ट को काफी नुकसान होता है।

नासा ने कैसे प्रदूषण का पता लगाया?

नासा के टेरा सेटेलाइट के द्वारा जारी की गई तस्वीरों में एयरोसॉल ऑपटिकल डेप्थ (एओडी) की तुलना 2016-2019 के बीच ली गईं तस्वीरों से की गई। एओडी के आंकड़े जुटाने के लिए देखा जाता है कि प्रकाश एयरबोन पार्टिकल्स से कितना रिफ्लेक्ट हो रहा है। अगर एयरोसॉल सतह के आसपास होते हैं तो एओडी 1 होती है, यह स्थिति प्रदूषण के लिहाज से गंभीर मानी जाती है। अगर एओडी 0.1 पर है तो वायुमंडल को स्वच्छ माना जाता है।

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Answered by areeb3130
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बीती 24 अप्रैल को जब मुकुल गर्ग के 57 वर्षीय चाचा को बुख़ार आया तो उन्हें कोई ख़ास चिंता नहीं हुई.

इसके 48 घंटे के अंदर 17 लोगों वाले इस परिवार में दो अन्य लोग भी बीमार पड़ गए.

कुछ समय बाद बीमार लोगों के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और गले में ख़राश जैसे लक्षण सामने आने लगे.

मुकुल गर्ग ने शुरुआत में सोचा कि ये मौसमी बुख़ार हो सकता है क्योंकि वे ये मानने को तैयार ही नहीं थे कि ये कोरोना वायरस हो सकता है.

गर्ग ने सोचा कि "घर में एक साथ पाँच - छह लोग बीमार पड़ जाते हैं, ऐसे में परेशान नहीं होना चाहिए."

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