पत्र लेखन का मतलब बताइए?
50-70 शब्दों में।
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दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त्त अन्य कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है।
आजकल हमारे पास बातचीत करने, हाल-चाल जानने के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध हैं ; जैसे- टेलीफोन, मोबाइल फोन, ई-मेल, फैक्स आदि। प्रश्न यह उठता है कि फिर भी पत्र-लेखन सीखना क्यों आवश्यक है ? पत्र लिखना महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र लिखना पड़ता है। फोन आदि पर बातचीत अस्थायी होती है। इसके विपरीत लिखित दस्तावेज स्थायी रूप ले लेता है।
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मानव मन सदा अपनी भावनाओ को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए व्याकुल रहता है। अपने सामने वाले व्यक्ति से वह बोलकर अपने मन की बात कह सकता हैं परंतु कही दूर रहने वाले व्यक्ति को वह लिखकर ही अपनी भावनाएं समझा सकता हैं। इसी स्थिति में पत्र लिखने की परंपरा प्रारंभ हुई होगी, जिसे कभी कबूतरों अथवा दूत-दूती के माध्यम से भेजा गया, जो अब डाकिए के द्वारा पूरा किया जाता है। पत्र, संदेश अथवा समाचार भेजने और प्राप्त करने का सर्वाधिक सुगम और सस्ता साधन हैं। पोस्टकार्ड, अन्तर्देशीय-पत्र अथवा बंद लिफाफे में पत्र लिखकर भेजा जा सकता हैं। पत्र की रसीद प्राप्त करने के लिए पत्र पिजिकृत डाक से तथा तुरंत वितरण के लिए पत्र ‘स्पीड-पोस्ट’ द्वारा भेजा जाता है। इन दिनों ‘कोरियर सर्विस’ से भी पत्र भेजे जाते हैं। कोरियर सेवा में प्रेषित सामग्री के लिए समुचित राशि प्राप्त कर रसीद दी जाती हैं। यह सेवा निजी क्षेत्र में चल रही है।
आज के विज्ञान युग में चाहे दूरभाष, वायरल, इंटरनेट, फैक्स, एस. एम. एस., एम. एम. एस., ई–मेल आदि के प्रयोग से दूर स्थित सगे-संबंधियों, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थानों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों से पल-भर में बात की जा सकती हैं पर पत्र-लेखन का अभी भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पत्र-लेखन विचारो के आपसी आदन-प्रदान का सशक्त, सुगम और सस्ता साधन हैं। पत्र-लेखन केवल विचारो का आदान-प्रदान ही नहीं है, बल्कि इससे पत्र-लेखन के व्यक्तित्व, दृष्टिकोण, चरित्र, संस्कार, मानसिक स्थिति आदि का ज्ञान हो जाता है।