(५)‘पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए 'इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए ।
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पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए ।
लेखन एक कला है | अपने विचारों को संक्षेप में प्रभावशाली शैली में विषयानुरूप भाषा का प्रयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना यह भी एक प्रकार का हुनर है । इसका माध्यम पहले अधिकतर डाक -सेवाएँ बना करती थी | आज भी ये सेवाएँ है किन्तु इनका चलन कम हुआ है | वर्तमान समय में पत्र का स्थान ईमेल ने ले लिया है जिसका तात्पर्य इलेक्ट्रॉनिक मेल है ,जिसके माध्यम से संदेश संसार के किसी भी स्थान से दूसरे स्थान तक तुरंत, तत्क्षण पहुंचाया जा सकता है । इसके द्वारा भी हम अपनी भावनाओं को विचारों द्वारा व्यक्त करके लिखकर पहुंचाते हैं | माध्यम भले ही बदल जाए परंतु पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा हम वस्तुस्थिति को जिस तरह पहुंचाना चाहते हैं उसी तरह अपनी भावना रूपी शब्द ---सुमन द्वारा ग्रहणकर्ता को पहुंचा देते हैं । अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का पत्र एक सशक्त माध्यम है । कई बार हम देखते हैं कि एक छोटा-सा लिखित धन्यवाद भी कई बड़े-बड़े काम कर देता है । वाणी में स्थैर्य नही होता है जबकि लिखित पत्र स्मृतियों के वाहक होते है | हम सभी जानते हैं कि शब्द संपदा वह वस्तु है जो सामने वाले व्यक्ति को, पहुंचाने वाले व्यक्ति की तात्कालिक स्थिति का परिपूर्ण एवं वास्तविक वर्णन प्रस्तुत कर सकती है | इससे हमें अद्यतन रहने में भी मदद मिलती है | पत्र लेखन से हम परस्पर जुड़ाव महसूस करते है जो हमें इस विशाल जगत से संयुक्तता का आभास कराता है | अतएव ये सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए |
लेखन एक कला है | अपने विचारों को संक्षेप में प्रभावशाली शैली में विषयानुरूप भाषा का प्रयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना यह भी एक प्रकार का हुनर है । इसका माध्यम पहले अधिकतर डाक -सेवाएँ बना करती थी | आज भी ये सेवाएँ है किन्तु इनका चलन कम हुआ है | वर्तमान समय में पत्र का स्थान ईमेल ने ले लिया है जिसका तात्पर्य इलेक्ट्रॉनिक मेल है ,जिसके माध्यम से संदेश संसार के किसी भी स्थान से दूसरे स्थान तक तुरंत, तत्क्षण पहुंचाया जा सकता है । इसके द्वारा भी हम अपनी भावनाओं को विचारों द्वारा व्यक्त करके लिखकर पहुंचाते हैं | माध्यम भले ही बदल जाए परंतु पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा हम वस्तुस्थिति को जिस तरह पहुंचाना चाहते हैं उसी तरह अपनी भावना रूपी शब्द ---सुमन द्वारा ग्रहणकर्ता को पहुंचा देते हैं । अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का पत्र एक सशक्त माध्यम है । कई बार हम देखते हैं कि एक छोटा-सा लिखित धन्यवाद भी कई बड़े-बड़े काम कर देता है । वाणी में स्थैर्य नही होता है जबकि लिखित पत्र स्मृतियों के वाहक होते है | हम सभी जानते हैं कि शब्द संपदा वह वस्तु है जो सामने वाले व्यक्ति को, पहुंचाने वाले व्यक्ति की तात्कालिक स्थिति का परिपूर्ण एवं वास्तविक वर्णन प्रस्तुत कर सकती है | इससे हमें अद्यतन रहने में भी मदद मिलती है | पत्र लेखन से हम परस्पर जुड़ाव महसूस करते है जो हमें इस विशाल जगत से संयुक्तता का आभास कराता है | अतएव ये सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए |
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