पत्र लेखन:-
शाला के अखिरी दिन पर मित्रों से दूर होने का अनुभव
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*अगर हम वाकई सच्चे दिल से मालिक को प्यार करना चाहते है तो दुनियॉ के तानो और निन्दाओं की चिन्ता क्यों ?*
*हमें किसी भी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं करनी चाहिए ।*
*हमें फर्क नहीं पडना चाहिए कि कोई हमारी तारिफ करें या बुराई ।*
*फर्क सिर्फ इतना पडना चाहिए कि क्या हम अपने मालिक की रजा में रहने की कोशिश कर रहें है या नहीं।*
*क्या हम मालिक को उसके हिस्से का समय दे भी रहे है या नहीं ||*
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