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Answer:
Before starting with the solution of this question, let us understand the concept.
\begin{gathered}\\\end{gathered}
Concept used:
cos also known as 'cosine' is the complimentary of sine as the name suggests.
So,
cos θ = sin (90 - θ)
\begin{gathered}\\\end{gathered}
Step-by-step explanation:
Applying this concept,
cos 72° can be written as sin (90° - 72°)
→ cos 72° = sin (90° - 72°)
⇒ cos 72° = sin 18°
\begin{gathered}\\\end{gathered}
Now, dividing by cos 72° on both sides,
\begin{gathered} \sf{ \dfrac{cos \: 72^{ \circ} }{cos \: 72 ^{ \circ} } = \dfrac{sin \: {18}^{ \circ} }{ cos \: 72 ^{ \circ} } } \\ \\ \end{gathered}
cos72
∘
cos72
∘
=
cos72
∘
sin18
∘
\begin{gathered} \implies \: \sf{ \dfrac{ \cancel{cos \: 72^{ \circ}} } { \cancel{cos \: 72 ^{ \circ}} } = \dfrac{sin \: {18}^{ \circ} }{ cos \: 72 ^{ \circ} } } \\ \\ \end{gathered}
⟹
cos72
∘
cos72
∘
=
cos72
∘
sin18
∘
\begin{gathered} \implies \sf{ 1= \dfrac{sin \: {18}^{ \circ} }{ cos \: 72 ^{ \circ} } } \\ \\ \end{gathered}
⟹1=
cos72
∘
sin18
∘
\begin{gathered} \therefore \: \boxed{ \bf{\dfrac{sin \: {18}^{ \circ} }{ cos \: 72 ^{ \circ} }} = 1} \\ \\ \end{gathered}
∴
cos72
∘
sin18
∘
=1
उत्तर.
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महात्मा गांधी मार्ग
नागपुर
दिनांक 1/7/2019
पूज्यवर
सदर प्रणाम!
अभी- अभी तक कृपापत्र प्राप्त हुआ है। आज तक दसवीं श्रेणी में नाम लिखा गया है, फिर भी आपका नाम दर्ज है, आपके नाम के बारे में।
ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक पहले आपसे पूछ रहा हूँ। पंखाने वाले खराब होने पर वे खराब हो जाते हैं। परन्तु, आपसे सच्ची बात कहता हूँ कि मैं न तो इंजीनियर बनना चाहता हूँ और न डॉक्टर ही। मैं एक विशेष रूप से विशिष्ट हूँ। देश का सिपाही! भारतमाता का सिपाही!
कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️ कहेंगे️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ जब ठीक हो तो ठीक करें। दैत्याकार, वास्तव में ऐसा माना जाता है, जिस तरह के खेल में ऐसा होता है, वैट में-कूदकर बड़े, मेर उऋण कैसा होता है ? सिपाहियों का जीवन दुख की समस्या है। देश में खुशियों की बहार आए हैं? अपने देश के लिए मर-मिनेटीने में आनंद लें, वह। आज भारतमाता अपने ऐसे गुणों से युक्त-विशेषज्ञों को तैयार करता है, जो सर से कफनवर अपने को तैयार करते हैं। अच्छा! निश्चित रूप से निकट। कहावत है-
खुशियों के मौसम में बेहतर होते हैं।
वट पेर्थ की ओर से उबड़ खाबड़ होंगे।
अपने अंत:करण की बात निवेदित कर दी । अब आप मुझे शुभाशीष करेंगे I I I I माँ को प्रणाम और टुनटन को प्यार।
आज्ञाकारी पुत्री
अनुराग
विजय
भाले राव
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