पत्र लियत
भवान शल प्रभ्यागे पहोते । स्व-अध्ययनस्य प्रवातिविषये येषठं श्नामरं प्रतिलिखेते पो रिक्त मानानि मञ्जूषायां प्रयतवाद: पूरयित्वा पलं पुना लिखत |
परीक्षाभवनम
तिथि- 31-12-2020
पूज्य भाता।
अत्र सर्व भुहलं । तत्ापि कुशलंकामये । मोदाणा नियमेन आरख्छम
अपुजा ( ं)
।
मधम् तिदिनम- प्रात [(U)" उत्निष्ठामि
पठेतानां पालानाम (णि)
करोमि। संस्कृतविषयेण प्रचम र्थानं प्राप्तं 1 वाणितावेरष ये मम युर्यलता
अधुना (iily
पितृभभाम् मम (X)
भवताम्र अनुजार
ममा, स्नादर नमः, पचवादने आनि प्रणामाः, प्रयागत: मम दूरी जूता, सप्तवादनपर्यन्तम, विशाला
ভষ্ঠते पुर्यय विमागं कुरून अ)
पठित्वा
चलितुम.
1.
प्रश्न
( बाला
CO F1
Answers
Explanation:
पत्र-व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक जेम्स हाडल का कथन सत्य ही है कि “जिस प्रकार कुंजियाँ मंजूषाओं के पत्र लेखन एक कला है जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है
Answer:
पूरयित्वा पत्रं पुनः लिखत।
1/2x10=5
परीक्षाभवनम्
तिथि:
पूज्य भ्रातः
(2).........। अत्र सर्व कुशलम्। तत्रापि कुशल (3) ........... अधुना (4) ........
... शिक्षणं नियमेन आरब्धम्। अहं प्रतिदिनम्
प्रातः (5) .......... उत्तिष्ठामि। ततः (6) .......... पठितानापाठानाम् आवृति करोमि। संस्कृतविषये मया प्रथम स्थान (7)
.... गणितविषये मम दुर्बलता अधुना (8) ..........
पितृभ्याम् मम (9)..........
भवताम् अनुजः
(10)
मञ्जूषा
सादर नमः, पञ्चवादने, प्रणामाः, प्रयागतः, मम, कामये, दूरीभूता, सप्तवादनपर्यन्तम्, विशालः, प्राप्तम्
Explanation:
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