Hindi, asked by shubhangicharde, 9 months ago

• 'पत्र-पत्रिकाओं का महत्त्व' विषय पर अपने विचार लिखिए।

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Answered by samkamalakar95
87

Answer:

hiiiiiiii

लोकतंत्र में समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं का काफी महत्त्व होता है । समाचार-पत्र लोकमत को व्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन है । जब रेडियो तथा टेलीविजन का ज्यादा जोर नहीं था, समाचार-पत्रों में छपे समाचार पढ़कर ही लोग देश-विदेश मे घटित घटनाओं की जानकारी प्राप्त किया करते थे ।

अब रेडियो तथा टेलीविजन सरकारी क्षेत्र के सूचना के साधन माने जाते हैं अत: तटस्थ और सही समाचारों के लिए ज्यादातर लोग समाचार-पत्रों को पढ़ना अधिक उचित और प्रामाणिक समझते है । समाचार-पत्र केवल समाचार अथवा सूचना ही प्रकाशित नहीं करते वरन् उसमें अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग पृष्ठ और स्तम्भ (Column) निधारित होते हैं ।

पहला पृष्ठ सबसे महत्त्वपूर्ण खबरों के लिए होता है । महत्त्वपूर्ण में भी जो सबसे ज्यादा ज्वलन्त खबर होती है वह मुख पृष्ठ पर सबसे ऊपर छापी जाती है । पहले पृष्ठ का शेष भाग अन्यत्र छापा जाता है । अखबार का दूसरा पन्ना ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता, उसमें प्राय: वर्गीकृत विज्ञापन छापे जाते है ।

रेडियो, टेलीविजन के दैनिक कार्यक्रम, एकाध छोटी-मोटी खबर इसी पृष्ठ पर छपती हैं । तृतीय पृष्ठ पर ज्यादातर स्थानीय समाचार तथा कुछ बड़े विज्ञापन छापे जाते हैं । चौथा पृष्ठ भी प्राय: खबरों तथा बाजार भावों के लिए होता है । पांचवें पृष्ठ में सांस्कृतिक गतिविधियां और कुछ खबरें भी छापी जाती हैं ।

आधे / चौथाई पृष्ठ वाले विज्ञापन और कुछ समाचार भी इस पृष्ठ पर ही छापते है । अखबार का बीचोंबीच का भाग काफी महत्त्व का होता है । इसमें ज्वलन्त विषयों से सम्बन्धित सम्पादकीय किसी अच्छे पत्रकार का सामयिक विषयों पर लेख, ताकि सनद रहे जैसे रोचक प्रसंग भी इसी बीच के पृष्ठ पर छापे जाते हैं ।

पहले अखबार केवल इकरंगे हुआ करते थे । उसमें छापे गए चित्र भी श्वेत-श्याम होते थे । अब छपाई अथवा मुद्रण कला में काफी प्रगति हुई है जिसकी वजह से अखबारों में अनेक प्रकार के आकर्षक रंगीन चित्र भी छापे जाते हैं ।

अखबार कई प्रकार के होते हैं दैनिक, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक अखबार भी होते है । कैलीफोर्निया में प्रकाशित हिन्दुइज्स टुडे मासिक समाचार-पत्र है जो विश्वभर में हिन्दुओं की गतिविधियों का मासिक लेखा-जोखा छापता है । आमतौर से दैनिक समाचार-पत्र ही ज्यादा लोकप्रिय होते हैं । कुछ साप्ताहिक अखबार होते हैं जो पूरे सप्ताह की गतिविधियों का लेखा-जोखा छापते हैं

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Answered by minku8906
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पत्र-पत्रिकाओं का महत्त्व' विषय पर अपने विचार लिखिए:

पहली पेपर पत्रिका बंगाल में गवर्नर हिक्की द्वारा स्थापित की गई थी, जिसे "बांग्लादेश गजट" कहा जाता था, लेकिन यह केवल अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण था।

इसलिए 1826 में "उदंत मार्तंड" के नाम से हिंदी अखबार और पत्रिकाएं प्रकाशित हुईं, लेकिन साप्ताहिक समाचार पत्रों के रूप में भी बंद कर दी गईं, फिर हमारे लोगों ने ब्रिटेन के खिलाफ विद्रोह कर दिया और बांग्ला मैसेंजर जैसी कई पत्रिकाओं का संपादन किया।केशरी, वंदे मातरम, आदि हिंदू प्रार्थनाएं हैं जिनका उपयोग भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति दिखाने के लिए किया जाता है।

भारत में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का इतिहास अपेक्षाकृत हाल ही का है, जो लगभग 200 वर्षों का है। सुबह हमें समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन और मीडिया के अन्य रूपों को सूचित करने की आवश्यकता होती है।

पत्रकारों को अपने काम में दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है, उन्हें पत्रिकाओं को भी एक साथ रखना पड़ता है और उन्हें पत्रिकाओं का काम भी लिखना पड़ता है, और उनकी प्रस्तुति एक अच्छे पत्रकार जैसे मनोवैज्ञानिक और वकील में गुपचुप तरीके से की जाती है। सफल होने के लिए आपमें कुछ गुण होने चाहिए।

#SPJ2

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