| पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना
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पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. का संदेश नहीं दे सकता, क्योंकि पत्रों का अस्तित्व स्थाई होता है; उनमें मानवीय प्रेम व लगाव का समावेश रहता है। पत्रों को हम सहेज भी सकते हैं लेकिन फोन पर की गई बात अस्थाई होती है। एस.एम.एस से संदेश सीमित शब्दों में भेजे जाते हैं। पत्र भावना प्रधान हैं व शिक्षाप्रद होते हैं। अमिट यादें उनके साथ जुड़ी होती हैं। पत्रों को एकत्रित करके पुस्तक का रूप भी दिया जा सकता है जबकि फोन या एस.एम.एस. मैं ऐसा नहीं होता। संदेश भेजने का सस्ता साधन भी पत्र ही हैं।
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पत्र किसी दस्तावेज़ से कम नहीं है। आज पत्र अनेक संकलनों के रुप में देखे जा सकते हैं। ‘पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम ‘ और ‘निराला’ के पत्र ‘हमको लिख्यौ है कहां’ तथा ‘पत्रों के आइने में दयानंद सरस्वती’ सहित कई पुस्तकें हमें धरोहर के रूप में देखने को मिल जाती हैं। पत्रों का यह दिलचस्प संकलन धरोहर हैं लेकिन एसएमएस धरोहर नहीं हो सकते। एक तो इन्हें संभाल कर रखना कठिन है दूसरा इनके द्वारा अपने विचारों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करना संभव नहीं है इसलिए पत्र धरोहर हो सकते हैं जो जीवन को गतिशील बनाने का कार्य करते हैं लेकिन एसएमएस नहीं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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