पत्र विधा की प्रमुख विशेषताएं बताइए
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संक्षिप्तताः पत्र ऐसा होना चाहिए जिसमें केवल आवश्यक बातों का ही उल्लेख हो। अनावश्यक बातें पत्र को बोझिल बना देती है। इसलिए संक्षिप्त शब्दों में ही अपनी बात कही जानी चाहिए तथा अनावश्यक और अर्थहीन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। यही पत्र की संक्षिप्तता है।
सरलताः संक्षिप्तता के साथ-साथ सरल और सुबोध होना चाहिए। सरलता से तात्पर्य भाषा की सरलता से है पत्र की भाषा ऐसी हो कि पत्र पढ़ने वाला लिखी हुई बात को अच्छी तरह समझ जाए। ऐसी भाषा शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए कि पत्र पढ़ने वाले को लिखी गई बात समझने में कठिनाई हो। वाक्य भी सरल और छोटे हों तथा उनका क्रम भी निश्चित हो।
सहजताः सहजता का अर्थ है- स्वाभाविकता अर्थात् पत्र लिखते समय किसी भी तरह की बनावटी या कृत्रिम शब्दावली का प्रयोग नहीं होना चाहिए। जैसे आपकी वार्तालाप की शैली होती है वैसी ही शैली पत्र में भी प्रयोग की जानी चाहिए।
प्रभावशीलताः पत्र की भाषा प्रभावशाली होनी चाहिए। पत्र लिखते समय प्रयोग की जाने वाली शब्दावली ऐसी हो कि प्राप्तकर्ता के सामने लिखी गई बात या घटना का पूरा चित्र आ जाए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!