पत्रकी धरोहर को कहा जा सकता है चिट्ठियों को नहीं तर्क सहित अपना उत्तर दो
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पत्र लिखित रूप में होते हैं तथा पत्रों में आत्मीयता झलकती है इसलिए इन्हें सहेज कर रखा जाता है। पर एस.एम.एस में केवल कामकाजी बातें की जा सकती हैं इसलिए इन्हें लोग जल्दी ही भूल जाते हैं। एस.एम.एस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है। परन्तु पत्रों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती है। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं। जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गाँधी, भगतसिंह आदि के पत्र आज भी संग्रहालयों में धरोहर के रूप में रखे हैं। पत्र देश, काल, समाज को जानने का असली साधन है।
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