पत्रलेखन अनुराग छात्रावास महात्मा गांधी मार्ग नगर पुर से विजय भालेराव अपने जीवन स्वश्रा का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखता है
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पत्रलेखन अनुराग छात्रावास महात्मा गांधी मार्ग नगरपुर से विजय भालेराव द्वारा जीवन स्वश्रा का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को पत्र।
Explanation:
प्रिय पिताश्री प्रणाम,
आशा है परिवार में सभी लोग स्वस्थ होंगें , मैं भी यहां पूर्ण रूप से स्वस्थ हूँ। जब से यह अनुराग छात्रावास आया हूँ घर की बहुत याद आती है। शुरआत में बहुत कठनाईओं का सामना करना पड़ा परन्तु अब मेरी दिनचर्या सही हो गयी है।
मैं यह सबेरे 5 बजे से उठकर नित्य क्रियाओं से निपटकर सैर के लिए जाता हूँ। लौटने के पश्चात विद्यालय जाने की तैयारी करते हैं, विधालय में सभी शिक्षक काफी बेहतर पढ़ाते। लौटने पर में नियमित रूप से शाम को पढ़ाई के लिए बैठ जाता हूँ। पढ़ाई के बाद हम लोग रात के खाना खाने के बाद सोने क लिए चले जाते हैं।
यहां मेरा जीवन सुचारु रूप से चल रहा है ,आपको चिंता करने की कोई आवशयकता नहीं है।
आपका प्रिय पुत्र
विजय भालेराव।
दिए गए विषय कर पत्र लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
विजय भालेराव,
अनुराग छात्रावास,
महात्मा गांधी मार्ग,
नगरपुर ।
दिनांक - 16/7/22
पूज्यनीय पिताजी,
साष्टांग प्रणाम।
आशा है आप सभी वहां पर सकुशल होंगे।
यहां पर भी सब कुशल मंगल है।
आगे समाचार यह है कि अब में छात्रावास में व्यवस्थित हो गया हूं। पहले सप्ताह थोड़ी दिक्कत हुई थी। कुछ असुविधा जो रही थी तथा यहां का खान पान अच्छा नहीं लग रहा था। अब सभी कुछ तो घर जैसा नहीं मिलेगा। मां के हाथों से बने खाने की याद आती है।
हमें यहां पर सब समय के अनुसार करना होता है। सुबह 6 बजे उठकर दौड़ लगवाई जाती है , उसके बाद कुछ देर व्यायाम व ध्यानाभ्यास भी करवाया जाता है जिससे स्वास्थ्य भी ठीक रहे व एकाग्रता भी बनी रहे। नाश्ते का समय सुबह 8 से 9 बजे तक है । नाश्ता करके विद्यालय जाने की तैयारी की जाती है।
विद्यालय से लौटने के बाद शाम के समय कुछ देर ग्राउंड में खेलने का समय दिया जाता है । उसके बाद हम सभी पढ़ाई करते है व 9 बजे रात्रि का खाना खाकर सोने चले जाते है।
माताजी को मेरा प्रणाम ।
आपका आज्ञाकारी बेटा ,
विजय।
#SPJ3
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