पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद गंध पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा श्री
पट नहीं रही है।
which RAS ???
Dont give answer unless u r 100 % sure !!!
please !
users are also requested to ans in the comment box also ( if interested )
Answers
In all the books, answer is given as Shringar ras.
पत्तों से लदी डाल कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में मंद गंध पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा श्री पट नहीं रही है।
इन पंक्तियों में शृंगार रस है |
शृंगार रस की परिभाषा :- शृंगार रस का स्थायी भाव प्रेम है। यह रस प्रेम भावनाओं द्वारा उत्पन्न होता है।
रस की परिभाषा :- काव्य को पढ़कर मिलने वाली अंदरूनी खुशी को रस कहा जाता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि यदि कोई कविता पढ़कर आप प्रेरित एवं उत्तेजित हो जाते हैं तब उस कविता में वीर रस का प्रयोग किया गया है।इसी प्रकार अन्य कई प्रकार के रस हैं जिन्हे मिलाकर काव्य का निर्माण किया जाता है।
रस 11 प्रकार के होते हैं।
1. रस 2. हास्य रस, 3. करूण रस 4. रौद्र रस 5. वीर रस 6. भयानक रस 7. बीभत्स रस 8. अद्भुत रस 9. शान्त रस 10. वत्सल रस 11. भक्ति रस
इन पंक्तियों का अर्थ है :-
यह पंक्तियाँ "सूर्यकांत त्रिपाठी निराला" जी की कविता से ली गई है | कवि कहते है कि पेड़ों पर नए पत्ते निकल आए हैं, जो कई रंगों के हैं। कहीं-कहीं पर कुछ पेड़ों के गले में लगता है कि भीनी-भीनी खुशबू देने वाले फूलों की माला लटकी हुई है। हर तरफ सुंदरता बिखरी पड़ी है और वह इतनी अधिक है कि धरा पर समा नहीं रही है।