पत्तों से लदी डाल,कहीं हरी, कहीं लाल कहीं पड़ी है उर में ,मंद-गंध-पुष्प-माल पाट-पाट शोभा-श्री,पट नहीं रही है उपयुक्त काव्यांश की भाषा कौन सी है
Answers
Answered by
1
पत्तों से लदी डाल,कहीं हरी, कहीं लाल कहीं पड़ी है उर में,
मंद-गंध-पुष्प-माल पाट-पाट शोभा-श्री,पट नहीं रही है।
➲ उपयुक्त काव्यांश की भाषा खड़ी बोली है। इस काव्यांश में तत्सम और तद्भव दोनों शब्दों का प्रयोग किया गया है ताकि उसमें प्रसाद गुण ही प्रकट हो रहा है। काव्यांश की शैली अतुकांत छंद वाली है। काव्यांश में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार, रूपक अलंकार, विशेषोक्ति अलंकार आदि का प्रयोग हुआ है।
यह काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा रचित ‘उत्साह’ नामक कविता से लिया गया है
◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌
Similar questions