पतनशील सामंती समाज झुठी शान के लिए जीता था। लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर स्पष्ट किजिए
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जब लेखक अपनी सीट पर बैठा तो नवाब साहब उनसे नजरें मिलाने से बच रहे थे। नवाब साहब खिड़की के बाहर देख रहे थे। इन हाव भावों से पता चलता है कि नवाब साहब लेखक से बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं
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