Patang namak kawita ka kendari bhawo apne sabdo me likho
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पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा बच्चों की बाल सुलभ इच्छाओं और उमंगों तथा प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है । भादो मास गुजर जाने के बाद सर्द ऋतु का आगमन होता है । चारों ओर प्रकाश फैल जाता है सुबह के सूर्य का प्रकाश लाल चमकीला हो जाता है । सर्द ऋतु के आगमन से उत्साह एवं उमंग का माहौल बन जाता है ।
सर्दऋतु का यह चमकीला इशारा बच्चों को पतंग उठाने के लिए बुलाता है और पतंग उडाने के लिए मंद मंद वायु चला कर आकाश को इस योग्य बनाता है कि दुनिया की सबसे हल्की रंगीन कागज और बांस की सबसे पतली कमानी से बनी पतंगें आकाश की ऊंचाइयों में उड सके । बच्चों के पांवों की कोमलता से आकर्षित होकर मानों धरती उनके पास आती है । अन्यथा उनके पांव धरती पर पडते ही नहीं ऐसा लगता है । मानों वे हवा में उडते जा रहे हैं । पतंग उडाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं । एक संगीतमय ताल पर उन्हे उनके शरीर हवा में लहराते हैं । वे किसी भी खतरे से बेखबर होते हैं । बाल मनोविज्ञान बाल क्रियाकलापों एवं बाल सुलभ इच्छाओं का सुंदर बिंबों के माध्यम से अंकन किया गया है ।